बदले हुए वक्त मे ठहरी हुई मैं हूँ l उलझी हुई ज़िंदगी मे सुलझी हुई मैं हूँ l लिखे हुए चेहरों को पढ़ती हुई मैं हूँ l किरदार बहुत ख़ास है,साधारण बहुत मैं हूँ l
छुपाए रखा है l एहसास ख़ामोशी मे दवाए रखा है l बड़ी कशिश है अंदाज मे तुम्हारे, दूरियों मे दिल संभाले रखा है l लग जाएगी आग दोनों के जहान मे, खुद को जला के तुम्हें बचाए रखा है l