Preeti Rao   (@preetiwrites)
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Joined 12 May 2020


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13 DEC 2022 AT 20:22

Sab kuch badal gya
ek shaksh ke badal jane se ...

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24 SEP 2022 AT 11:06

सारा जमाना वीरान नजर आता है जहां
तक नजर जाती है शमशान नजर आता ....

कितने ही शख़्स राख हो गए जलकर
यहां हर जगह चिराग़ नज़र आता है ....

पैरों में ना जाने कितने घाव लिए घूम रहे हैं यहां
हर शख़्स की आंखों में एक ख़्वाब नजर आता है ....

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16 MAY 2022 AT 21:46

खुश हुआ करते थे जिन तारों को देखकर
अब रोना आता है इन्हीं हजारों को देखकर ...

ख्वाहिशें मांगते थे टूटते तारे को देखकर
लौटने की दुआ करते हैं हर तारे को देखकर ...

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27 MAR 2022 AT 21:40

बेहिसाब थी बातें अब खामोशियों का बसर है ..
एक सख्श नाराज़ है वो टूटा कुछ इस कदर है .....

खुशियों का काफ़िला अब आंसुओं का शहर है ..
अब जींद भी हार गई चलती ये सांसें भी ज़हर है .....

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25 MAR 2022 AT 11:44

बिन मांगे मिल गया फकीरों को निजात
यहां कुछ लोगों की हज़ारों दुआएं बाकी हैं ...

पूरे हो गए सपने वजीरों के
यहां किसी की अधूरी तमन्नाएं बाकी हैं ...

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24 MAR 2022 AT 11:50

उलझनों के बीच
परेशां है जिंदगी ...

खुद की तलाश में
लापता है जिंदगी ...

खो गया सब कुछ
ना जाने कहां है जिंदगी ...

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1 FEB 2022 AT 21:49

कसर रह गई बताने में
लम्हा गुजर गया अक्स छुपाने में ...

जख्म कई थे पुराने
जींद भी लड़ गई उसे मिटाने में ...

कैद कर तकदीर का तमाशा
हम भी जूट गए लकीर बनाने में ...
— % &

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10 DEC 2021 AT 23:44

जो कभी चांद से चमकते थे
अब चुभते हैं आंखों में ...

आज़ाद हैं ख़्वाब कैद
होकर भी सलाखों में ...

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25 OCT 2021 AT 23:11

लफ्जों की दहलीज में घायल जुबां है..
कोई महफ़िल से तो कोई तन्हाई से परेशान है ...

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13 SEP 2021 AT 12:47



माना मुश्किल है मुश्किलों में संभलना लेकिन ...
मुश्किल नही इन मुश्किलों से बाहर निकलना ...

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