बिकती हैं आजकल मोहब्बत भी बाजारों में, जिस्म के सौदे में तो सिर्फ बेवफाई चलती हैं! ठहरा नही करते ये आशिक अब इंतजार में, दास्तां-ए-इश्क भी बस किताबों में मिलती हैं!
बदलती नही हैं किस्मत यूंही हमारे चाहने से, इंतजार में तो बस कुछ सवाल बदल जाते हैं! मिटती कहां हैं जिंदगी यूंही सिर्फ दफनाने से, जिस्म तो वही हैं बस ये मज़ार बदल जाते हैं!
बेवफ़ा नही होती कभी शमा किसी परवाने से, इम्तिहान में तो बस कुछ शिकवे जल जाते हैं! कोई मन्नतें मांगते रह जाता हैं यूंही उम्र भर, और किसी को खैरात में ख़्वाब मिल जाते हैं!
तू चाहे खाक कर दे जिंदगी को यूंही जलाकर, ख्वाहिशें अगर जिंदा हैं तो फिर जला ही क्या? सुलगा भी ना सका इन अंगारों पर कुछ ख्वाब, तो फिर ये जिंदगी जलाकर तुझे मिला ही क्या?
रंजिशों से गुजरती हैं आज कल हर मुलाक़ात, मिले जो कोई मंज़िल तो ठहरना भी जरूरी हैं! मुंतज़िर कहां रहता हैं समंदर किसी कश्ती का, नसीब ना हो साहिल तो गुजरना भी जरूरी हैं!
कभी वक्त से गुजरी तो कभी वक्त ने गुजारी हैं, यहां पर जिंदगी की भी कुछ अजीब खुमारी हैं! शाम विदा नहीं करती ख्वाहिशों को आज कल, फिर भी ख्वाबों का इम्तिहान पूरी रात जारी हैं!
मुलाकात कहां होती हैं आज कल रूहानियत से, कोई रूह भी यहां रूह की कहानी नहीं समझती! दिल बहाता हैं जज्बातों को कलम की नोक पर, फिर भी दुनिया शायर की ज़ुबानी नहीं समझती!