ना मयके की हुई ना ससुराल की,
पर उससे इज़्जत दोनों कुल की होती है,
एक औरत का किरदार आसान नहीं यारों,
सबसे ज्यादा जिम्मेदारीयाँ उसी पर होती है,
कोई पूछे ना भले ही हाल उससे,
फिर भी फ़िक्र उसे सबकी रहती है,
कभी बहन कभी पत्नी तो कभी माँ,
हर रूप में वो त्याग, प्रेम की मूर्ति होती है!!
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