दान कर्म की कहानी कर्ण मेरा नाम था योद्धाओं में सर्वश्रेष्ठ मेरा बाण था | बस एक ही थी गलती मेरी - मूक मैं बना रहा जब राजसभा के बीच पांचाली तेरा दामन था लुट रहा |
बस
इस एक कुकर्म के आगे सब दान मेरे झुक गए ऐ नारी तेरे मान के आगे प्राण मेरे छोटे पड़ गए |