Prateek Agarwal   (प्रतीक ख़्वाबज़ादा)
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Joined 27 April 2018


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Joined 27 April 2018
9 JAN 2022 AT 20:13

दो ही जान ए मन है मेरी ।
ये मेरी खुशनसीबी ही होगी

एक से मेरी शादी हो गई
दूजी सुकून ए मौत होगी

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23 OCT 2021 AT 7:02

कुछ मिल रहा है
तो कुछ खो रहा है

जो भी हो रहा है
सब अच्छा हो रहा है

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20 OCT 2021 AT 19:27

पतंग

पतंग को हमेशा ये लगता है की वो डोर जिससे वो
बंधी है वो उसकी उड़ान को रोक रही है
और अगर वो डोर ना होती तो शायद वो आकाश
मैं और ऊपर तक उड़ पाती ।
वो उस डोर से अलग होना चाहती है क्योंकि
किसी को भी बंदिशें नही पसंद

लेकिन वो ये भूल जाती है कि उस डोर के
कारण ही वो आकाश इतनी ऊंचाई पर
उड़ पा रही है अगर वो डोर टूट गई
तो पतंग नीचे ज़मीन पर आ गिरेगी

हमारा हमारे माँ और पिता के साथ
पतंग और डोर का ही रिश्ता है ।



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18 JUL 2021 AT 15:45

याद मैं तेरी दिल ये मेरा पल पल रोता है

बंद करूं ये आंख जो मैं
दीदार तेरा होता है



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27 JUN 2021 AT 15:20

मंज़ूर नही है कायनात को
तुम्हारा हमेशा आराम मैं रहना

वो दर्जी कभी भी
कपड़े तुम्हारे नाप के नही
सिलेगा

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22 JUN 2021 AT 18:38

जाने किस मिट्टी से बनाया है
साहिब-ऐ-जहान ने मुझको

कल की बातें मैं
कल ही भूल जाता हूँ

हसीन लम्हात बिताये जो वो
मुदत्तों याद रहते है
ग़मगीन पलों मैं अपने
उन्ही मैं झूल जाता हूँ

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20 JUN 2021 AT 10:12

माफ़ कर के एक दूजे को
आओ नज़दीकियां ज़रा बढ़ा ले

कभी आप हमारे घर आ जाए
कभी अपने घर बुला लें

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19 JUN 2021 AT 7:48

ऐ वक़्त अगर वक़्त मिला तो
तुझसे वक़्त लूंगा मैं

बेवक़्त मिलने का तुझसे
मेरे पास वक़्त नही है

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4 JUN 2021 AT 17:41

कर्म इस जन्म के है
या पिछले जन्मों का लेखा

दुनिया ने देखा है ताज महल
मगर मुमताज़ ने नही देखा

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29 MAY 2021 AT 17:23

लोगों के अजीब अजीब शौक़
है ज़माने में

किसी को ख़र्चने मैं मज़ा आता है
तो किसी को कमाने मैं

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