28 APR AT 14:49

पहले ,
मैं हफ़्ते भर के सारे दिनों में
इतवार ढूंढा करता था
खेल, दोस्त, आराम
ओ आवारगी के लिए
अब मैं ढूंढता हूं इसे
पूरी शिद्दत से ,

फकत तेरे लिए!

-


21 APR AT 20:02

कागज़ पर लिक्खा मानोगे या
सनोवर के पत्तों पर लिखवाओगे
" प्रेम "

-


2 APR AT 22:42

प्रेम करना और कह देना
कितना आसान है
वही दूसरी ओर
ता उम्र प्रेम करना
पर कभी ना कह पाना
कितना जटिल !
युद्ध में अपने प्राण
न्यौछावर करने वाले योद्धा
और अपना प्रेम न्यौछावर
करने वाले प्रेमी ,
दोनों शहीद होते है
क्योंकि शहादत
प्राणों की हो या प्रेम की
मरता दोनों में
इंसा ही है !

-


24 MAR AT 12:24

कितना आसान होता जीना , ओ
कितनी आसान होती दुनिया
अगर इस दुनियां के दुःख
हुबहू होते

" तुम्हारे दुखों की तरह, "

-


30 JAN AT 21:39

छलकती आँख लेकर के गले से आ लगी मेरे
जकङ कर बाह में मुझको वो धीरे से यूं कुछ बोली
अजब सी ऊब शामिल है अजब सी तिलमिलाहट है
शहर की भीड़ है शामिल मगर फिर भी अकेली है

मैं कहता हूं बड़े लहजे से उस पगली सी लड़की से ;
महीने भर के चांदो में ,
अमावस भी अकेली है औ पूनम भी अकेली है !

-


14 JAN AT 18:49

साहित्य में ,

वियोग श्रृंगार पढ़कर ,सुनकर ओ ' झेलकर '
संयोग श्रृंगार लिखना बिल्कुल वैसा ही है ,

जैसा शहर के किसी चौराहे के सिग्नल पर
बारह साल का अधनंगा बच्चा , हाथों में
चार अंग्रेजी अखबारों की ' आड़ ' लेकर
गठरी भर हिंदी अखबार बेच देता है !

-


9 FEB 2022 AT 23:13

मैं चाहता तो हूं यहा से बाहर निकलना मगर
इन दीवारों पे दरवाजे नजर नहीं आते
तेरे दर पर आते होगे मुसाफिर कई मगर
मेरे जैसे भटके हो वो मुसाफिर नहीं आते
मैं चाहता हूं वापस अपने चेहरे की रंगत मगर
तेरे चेहरे पर वो नजारे नजर नहीं आते और
तुम कहती रहती हो खुद को शागिर्द मेरा
फिर हम दोनों कभी एक सफर पर क्यों नहीं आते!

-


1 FEB 2022 AT 22:54

मैं कह तो रहा हूँ ,मुझसे थोड़ी और नफरत करो
पर ये तेरे दिलासे ,मुझे मेरी ही नजरो से गिराते है !

-


27 APR 2021 AT 21:12

शोर करना झूठ की हकीकत है,
ओ सत्य का परिधान है मौन !

-


28 FEB 2018 AT 18:38

काश ! इश्क का भी कोई रोजगार होता,
तो आज हम यूँ बेरोजगार न होते !

-


Fetching Prashu Awasthi Quotes