Prashant Badal   (लफ़्ज-ए-प्रशान्त✍)
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Joined 30 December 2017


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Joined 30 December 2017
21 APR AT 22:12

इशरत की ख्वाहिश दिल में लिए,
उसरत की गलियों से गुजरते हुए हम।।

ज़रा सी उल्फत में बैठे हुए है,
तेरे इंतज़ार की फुर्सत में यहीं हम।।

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1 APR AT 18:53

तुम साथ चलो मैं चलता रहूंगा,
कदम से कदम तुम्हारे मैं रखता रहूंगा,
मेरे सच और आज के संग जो तुम ठहर सको
तुम्हारे होठों की मुस्कराहट मैं बनकर रहूंगा,

चांद सितारे, हीरे मोती महंगे जेवर न दिलाऊंगा,
तुम जो कर सको श्रृंगार सादगी का ,
कदम से कदम चल साथ तुम्हारे मैं तुम्हे संभालूंगा।

रिश्ता इतना अटूट कर सको जो,
कि अपने गम को मेरा ,मेरे गम को अपना
तुम्हारी मन की हर उलझन मिटाऊंगा,
तुम्हारे सपनो को मैं खुद अपना समझ जीना चाहूंगा।

मेरे आज को जो तुम अपना कह सको,
भविष्य का नही वर्तमान में संग रह सको,
गम के अंधियारे में भी उजियारा सा लाऊंगा ,
मैं तुम्हारा साथ कुछ इस कदर निभाऊंगा।।

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1 APR AT 18:28

गैरो की फटी जेभें तो सबको नजर आती है,
कोई अपने गिरेबान को देखता तक नही।।

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5 FEB AT 21:07

लफ्ज़ ठहरे रहे जुबां पर,
इशारों इशारों में इशारे हो गए...
इश्क से परहेज करते रहे उम्र भर,
नजर से नज़र मिलते ही तुम्हारे हो गए।।

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2 FEB AT 21:35

जितनी भी तारीफ करूं ,
कम है तुम्हारी सादगी के आगे।।

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29 JAN AT 1:24

असफलता से डरकर,
सफलता के ख्वाब नही बुनें जाते।।
-लफ़्ज-ए-प्रशान्त✍🏻

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9 JAN 2022 AT 14:18

तेरे चेहरे पर मेरी नजरे यूं आकर रुकी,
कि मेज पर रखे रह गए कप चाय के,

सुनो,
अपनी मोहब्बत की शाहिद है ये चाय,

मेरी नजरे जो रुकी तो शर्माके तेरी पलकें झुकी,
तेरा यूं शर्माना पलकें झुकाना,नींदें उड़ा गई मेरी रातों के।

तेरे चेहरे पर मेरी नजरे यूं आकर रुकी,
कि मेज पर रखे रह गए कप चाय के।

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7 JAN 2022 AT 21:16

Never be sad..
Life is nothing more than your own smile.

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3 JUL 2021 AT 12:52

लौट कर आऊँगा,

वही पुराने अंदाज में
मगर थोड़े निराले अल्फ़ाज़ में,
यादें तो पुरानी होंगी साथ में,
मगर नयापन होगा हर बात में।।
चेहरा वही होगा पुराना सा,
मगर बदलाव होगा शख्सियत में।।
लौट कर आऊँगा,
पुराने अंदाज में,
मगर थोड़े निराले अल्फ़ाज़ में।।

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5 JUN 2021 AT 13:47

"आज कल की पीढ़ी"

मिट्टी से जो लगाव है हमारा,
अब वो लगाव आज की पीढ़ी में कहा है।

हवा के लिए पेड़ों की छांव में थे बैठते,
अब वो बात पंखों और कूलरों में कहा है।

नदियों में नहाने में जो मज़ा था जो सुकून था,
वो बात बड़े बड़े स्विमिंग पुल में कहा है।।

प्रकृति से जुड़े रहते थे हम सब पहले,
अब प्रकृति को ही नुकसान पहुंचा रहे है।

शुद्ध हवा ,शुद्ध पानी, शुद्ध वातावरण से थे घुले हम,
अब कहां है कुछ भी शुद्ध यहां।।

पेड़ों को काट रहे हो , प्रदुषण बढ़ा रहे हो,
तुम प्रकृति के साथ साथ अपना जीवन भी उजाड़ रहे हो।।

पेड़ लगाओ, प्रदुषण घटाओ,
जब शुद्द रहेगा वातावरण तो ही
शुद्ध रहेगा जनजीवन।

अभी भी वक्त है सम्भल जाओ,
अपने लिए ना सही आने वाली पीढ़ियों के लिए ही बदल जाओ।।

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