Pranav Ram Tiwari   (प्रणव राम तिवारी)
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Joined 14 June 2020


Joined 14 June 2020
28 NOV 2022 AT 15:03

•|| रघुवीर की चाकरी||•
जग का हर एक बंदा जग में ,
जग का ही है दास ।
कुछ नही मिलता बदले में ,
मिलता सिर्फ उपहास ।
दास बनो तो उसके
जो है शाश्वत और अविनाशी ,
सबसे बड़ा जो करता रघुवीर की चाकरी।

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28 MAY 2022 AT 15:02

•|| धर्म बन गया आज व्यापार ||•
जीवन की इस भाग दौड़ में , खो गया धर्म व्यवहार ,
लो धर्म बन गया आज व्यापार ।
नहीं कोई इससे सस्ता है , बिना पूंजी का व्यापार ,
लो धर्म बन गया आज व्यापार ।
बिकते मूर्ति स्वर्ण भाव में ,बंद बोतल में गंगा की धार ,
लो धर्म बन गया आज व्यापार ।
भोगी ,लोभी वर्चस्व बनाते , तिरस्कृत होते पुण्य तेज से तपे हुए भक्त परिवार ,
लो धर्म बन गया आज व्यापार ।
बिन भावों के पूजन होता , धर्म लगता सबको अब भार ,
लो धर्म बन गया आज व्यापार ।

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9 MAY 2022 AT 12:08

•|| वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप ||•
धन्य हुई है यह परिपाटी धन्य ये हिन्दुस्तान हुआ ,
धन्य हुई इतिहास यहां की , जिसमें महाराणा प्रताप सा बलवान हुआ ।
अर्पित है कुमकुम चंदन , अर्पण तन मन प्राण हुआ ।
हल्दीघाटी के समर विजय से , धन्य ये हिन्दुस्तान हुआ।

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22 MAR 2022 AT 10:49

•|| बिहार ||•
आज चलो हम करते दर्शन गंगा तट बुद्ध विहार की ।
आर्यावर्त के पुण्यभूमि और कवि दिनकर के बिहार की
जिस भूमि के दिव्य दरस से मोहन दास महान हुए ,
जिस धरती के आंगन में गुरू गोबिंद से बलवान हुए ।
महात्मा बुद्ध ने जिस धरती को कर्म भूमि अपना माना
अशोक से सम्राट के कारण इसको विश्व ने था जाना ।
मां गंगा के पावन तट में जिसका जय जय गान हुआ ।
नालंदा और तक्षशिला से जग को जीवन ज्ञान मिला ।

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7 MAR 2022 AT 20:58

•|| श्रीहीन आंगन ||•
श्रीहीन है वो आंगन , जहां न होता मंत्रोच्चार ,
वह भी क्या घर है , जहां न धर्म का हो व्यवहार ।
शुष्क धरा सी वो भूमि है , जिसपर न विप्र के हों चरण चिह्न ।
क्योंकि विप्र होते ही हैं , सारे जगत से भिन्न ।

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10 DEC 2021 AT 13:21

बिना लौह के लौह कटे न , बिना शूल के शूल ।
अंधा हो विश्वास करना है हिन्दुओं की भूल ।।

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6 DEC 2021 AT 20:44

•|| बिना राम के शून्य है जीवन ||•
बिना राम के जीवन का कोई मर्म कहां है ।
बिना राम के जीवन में कोई धर्म कहां है ।।
नहीं राम तो जीवन का तो कोई अर्थ नहीं है ।
बिना राम के मर्यादाओं का कोई उत्कर्ष नहीं है ।।
और क्या राम को दूर करोगे , क्या दूर करे कोई प्राण ।
बिना नीर के मीन की क्या कहीं होती है जान ?

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24 SEP 2021 AT 21:34

वो दाँव भी क्या , जिसमे छोटा कुछ गवां बैठे ।।
हम तो दाँव पूरी जिंदगी की लगा बैठे ।।

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14 SEP 2021 AT 9:49

•|| हिंदी मेरी पहचान , मेरा अभिमान ||•
संस्कृत इसकी मां है ,
तो यह है उसकी बेटी ,
देखो संस्कृति के शयन पर ,
सदियों से यह लेटी ।
महादेवी की निहार अलौकिक ,
भ्रमर गीत के हैं सूर ,
विश्व की यह संपर्क भाषा होगी ,
नहीं है दिन वह दूर ।।

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8 SEP 2021 AT 9:36

•|| प्रणव राम तिवारी कृत श्री अयोध्यापति स्तुति ||•
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जय रामचंद्र रघुवरम् , अयोध्यापति राजेश्वरम् ।।
मिथिलेश शोक विनाशकम् , अहिल्योद्धार कारणम् ।।
श्री भरत हृदय विहारणम् , जटायु मोक्ष दायकम् ।।
जय रामचंद्र रघुवरम् , अयोध्यापति रजेश्वरम् ।।
हे अवधपति करुणार्णवम् , जय परब्रह्म सुरेश्वरम् ।।
श्रीतुलसी हृदय विहारणम् ,मां शबरी जीवन कारणम् ।।
रघुनंदन आंनद सागरम् , अयोध्यापति राजेश्वरम् ।।
श्री कनक भवन विराजितम् , श्री वाल्मीकि ईश्वरम् ।।
कवि प्रणव ह्रदय साकेतधामे , सीता संग विराजितम् ।।
जय रामचंद्र रघुवरम् , अयोध्यापति राजेश्वरम् ।।

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