pragya jaiswal   (Pragya jazz)
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nawabo Ka sehar
Love to express myself
IAS aspirant
Wish me on 25th May
Joined 28 November 2017


nawabo Ka sehar
Love to express myself
IAS aspirant
Wish me on 25th May
Joined 28 November 2017
29 OCT 2020 AT 18:51

" ना राम हुवे ना रावण बनना सीख पाए,

कमियां ढूंढ़ते रहे दूसरे में अपने अंदर ना झांक पाएं,

ना सब्र सीखा राम से ना तप रावण सा करना आया,

चंद कठिनाइयों से विचलित होकर ना मर्यादा में रहना आया,

माना रावण में थी लाख बुराई पर उसने ये सबक सिखाया था,

बहन की इज्ज़त की खातिर अपना सर्वस्व लुटाया था,

माना कि मां सीता से प्रभु ने अग्नि परीक्षा मांगी थी,

लेकिन प्रभु राम ने भी जीवन में परनारी पर ना नजर उठाया था,

ना राम तुम्हे बनना है ना रावण तुम बन कर दिखलाओ,

जिस मानव रूप में जन्म लिया है वो मानव तो बनकर दिखलाओ,

पर पीड़ा को जिस दिन हम अपनी पीड़ा समझेंगे,

उस दिन सब अच्छा हो जाएगा बस इतनी सी बात समझ जाओ,

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26 SEP 2020 AT 22:58

No matter that happens:
I WILL RISE
No matter the conditions:
I RISE
No matter the circumstances:
I RISE
They doubt me:
I RISE
They reject me
I RISE
They ridicule me:
I RISE
No matter what happens…
I WILL RISE

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26 SEP 2020 AT 22:51

Too busy: No Excuses
Too tired : No Excuse
Too boring :No Excuses
Too stressed : No Excuses
Too Early : No Excuses
Too Late : No Excuses
Push your Limits not Excuses

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25 JUN 2020 AT 9:38

बहती धारा के दो किनारों का सार है ज़िन्दगी
इन्हीं किनारों के बीच संघर्ष का आधार है ज़िन्दगी
एक सुख है एक दुख है
पर इक दूजे के बिना निराधार है ज़िन्दगी
कभी तूफ़ानों से सामना भी है
कभी शांत बहना भी है
तूफ़ान कब निराकार हुए हैं
यह मान लें तो साकार है ज़िन्दगी.....

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15 JUN 2020 AT 9:25

बेशक जो भी हुआ दुःखद है... परंतु 4/5 instagram, facebook पोस्ट पढ़ के लोगों के भाव उभर के आ रहे हैं हमे कहना चाहिए किसी से अपने मन की बात... पर हमारा दोगलापन तो देखो क्या वाकेइ हमे फर्क पड़ता हैं किसी की बातो से.... हम दो दिन सुनते किसी को फिर उससे कहते हैं.. तुम्हें खुद को सुधारने की जरूरत है... तुम bore कर रहे हो...
हम शायद सबसे अपने भाव कह नहीं पाते और जिनसे कहते हैं वो समझते नहीं..... सुनाना सब चाहते हैं पर सुनना कोई नहीं.

Rest in peace logo kadoglapn 🙏🙏
Pragya Jaiswal

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29 MAY 2020 AT 20:48

मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..

हैं फ़ूल रोकते, काटें मुझे चलाते..
मरुस्थल, पहाड़ चलने की चाह बढाते..
सच कहती हूं जब मुश्किलें ना होती हैं..
मेरे पग तब चलने में भी शर्माते..
मेरे संग चलने लगे हवायें जिससे..
तुम पथ के कण-कण को तूफ़ान करो..

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29 APR 2020 AT 20:54

कुछ रिश्ते चंद चीजों के मोहताज होते है
बिगड़ जाए कोई बात तो पल में दर किनार होते हैं

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5 FEB 2020 AT 11:34

थमता नहीं है वक्त का कारवॉ
न किसी के आने से न किसी के जाने से
बस बाते याद रहती
कुछ पाने से या किसी का सब कुछ लुट जाने से
चाहता नहीं है कोई बुरे समय में लौट जाना
क्योंकि सीखता वहीं है निरंतर आगे बढ़ते जाना
कडी धूप का परिश्रम हो या या जीवन का अडिग लक्ष्य
बढने वाला आगे ,कभी ठहरना नहीं चाहता

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5 OCT 2019 AT 1:38

Jindagi Hume rulane ke Jung me laagi hai
Par kambakhyt hum use bAar baar harane ka mja aaa rha hai

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2 OCT 2019 AT 3:06

It's easy to give up with a miniature logic
Having hopes from hopeless instances
But harder to accept with number of differences
Being rigid in horrible consequences

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