छोटी सी आंखों में सपने बड़े लिए मैं जी रहा हूं,
अपने ही मेहनत के धागे से अपनी किस्मत सी रहा हूं,
इस तूफ़ान सी ज़िंदगी में, दरिया को किनारे की तरह मिले हो,
अब मैं तुझमे ही नया तूफ़ान देखता हूं,
किस्मत, मेहनत ये सब क्या है, तुम आओ तो सही
मैं तुझमे ही नया मकान देखता हूं।
© प्रदीप कुमार
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