पता नहीं हमें अब कौन कैसा लगता है, हर एक काम ज़रा ज़ुल्म जैसा लगता है। और भी कई बातें हैं मगर कहना आसान नहीं, इंसानों की बस्ती में शायद रहना आसान नहीं....
बुराई को नकार दे अच्छाई को सत्कार दे साल कुछ ऐसा करे कि सभी को निखार दे। कालिमा संहार कर स्तय को स्वीकार कर आगमन हो वर्ष का हर्ष को पुकार कर। मुरझाता चेहरा खिल जाए सबको खुशियाँ मिल जाए धन की हो या न हो लेकिन, पूण्य की हो कमाई आने वाले साल की सबको खूब बधाई...