Prabhav Mishra   (प्रभव)
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An immature scrivener who just writes what he wants.
Joined 9 December 2018


An immature scrivener who just writes what he wants.
Joined 9 December 2018
9 JAN 2022 AT 19:59

पुत्र मोह की क्षमता जब भी
किसी द्रोण पर भारी होगी,
समर भूमि में प्राण त्यागना
उनकी लाचारी होगी...

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26 OCT 2021 AT 11:40

पता नहीं हमें अब
कौन कैसा लगता है,
हर एक काम ज़रा
ज़ुल्म जैसा लगता है।
और भी कई बातें हैं
मगर कहना आसान नहीं,
इंसानों की बस्ती में
शायद रहना आसान नहीं....

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11 AUG 2021 AT 19:45

असहज अजीब से भरम लेकर आ गए
तलब थी सबको धन की, हम कलम लेकर आ गए।
और न पूछिए कि कितने नादां थे हम साहिब!
जो था शहर नमक का वहीं जख़म लेकर आ गए...।।

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2 MAY 2021 AT 23:26

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27 APR 2021 AT 1:11

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14 FEB 2021 AT 19:51

दहकती धरा का आसमाँ कहाँ से लाऊँ
दिल की आग में धुआँ कहाँ से लाऊँ
ज़िंदगी की अकेली मयस्सर कामयाबी तुम थी
तुम्हारे बिन अब वजूद-ए-गुमाँ कहाँ से लाऊँ

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27 JAN 2021 AT 12:00

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11 JAN 2021 AT 0:24

किसी के हिस्से का नामा बनो तो सही
भीगे नयनों में भामा बनो तो सही
चाहते हो जो जीवन में कान्हा मिले
पार्थ या तो सुदामा बनो तो सही...

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31 DEC 2020 AT 21:27

बुराई को नकार दे
अच्छाई को सत्कार दे
साल कुछ ऐसा करे
कि सभी को निखार दे।
कालिमा संहार कर
स्तय को स्वीकार कर
आगमन हो वर्ष का
हर्ष को पुकार कर।
मुरझाता चेहरा खिल जाए
सबको खुशियाँ मिल जाए
धन की हो या न हो लेकिन,
पूण्य की हो कमाई
आने वाले साल की
सबको खूब बधाई...

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14 DEC 2020 AT 22:29

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