Prabhat Ranjan   (प्रभात भारतवंशी ✍️)
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A Teacher Social activist & An IAS aspirant poem ,story and shayari writer
Joined 21 August 2019


A Teacher Social activist & An IAS aspirant poem ,story and shayari writer
Joined 21 August 2019
29 APR AT 11:02

पढ़ना तो आपको हर हाल में पड़ेगा बस सामान्य कारण है....
1. यदि आप कुप्रथा और रूढ़िवादिता को हटाना चाहते है तो आपको उन तथ्यों के रहस्यों को जानना होगा ताकि सही और गलत को विश्लेषित कर सके।

2. यदि आप भ्रष्ट सरकार को हटाना चाहते हैं तो आपको धार्मिक, राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों का जानकार बनना पड़ेगा।

3. सबसे अति महत्वपूर्ण, यदि आप खुद में परिवर्तन चाहते है तो आपको पढ़ना पड़ेगा ।
विद्ववत और विवेकशील होने के लिए आपको जीवन और किताब दोनों को पढ़ना होगा।

✍️ Prabhat's Thoughts ✍️

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24 APR AT 7:55

What is language in the sense of religion and it's the biggest puzzle now a days in the our society ❓
I will be post my point of view in the next post so I wish please share your thoughts in the comment box .

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20 APR AT 8:26

तुम अपने लफ्ज तो दो
मैं उन पर कविता लिखूं
तुम आवाज तो मुझे दो
मैं मधुर संगीत बनकर
तेरे चारों ओर स्वतंत्र गुंजू

माना कि असंख्य तारें गगन में
पर एक तेरी ही मूरत मेरे मन में
तुम अपनी चमक दो मेरे जीवन में
पालकी में लाऊंगा अपने आंगन में
मैं खुशबू बन महकू तेरे दामन में

तुम अपने प्रेम के दो लब्ज़ तो दो
मैं उन पर अनंत गजल को लिखूं
तुम मेरे प्रेम का साध्य तो दो
मेरा जीवन जब तक रहे इस शरीर में
तेरे लिए हर रोज आराध्य लिखूं

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19 APR AT 23:25

तू फनकार है मेरे दिल का
अब दिल क्या रोके रास्ता

है तुझे मेरे रब का वास्ता
तू चली आना मेरे दर पर

खुला है मेरे दिल का हर रास्ता
चले आना मेरी ओर बेफेक्री से
कदम बढ़ाए आहिस्ता आहिस्ता

अगर मुश्किल हो कोई तेरा रास्ता
तो करता हूं अपने खुदा से आराधना
सुगम हो आपके जीवन का हर रास्ता

ए दिल अब ना रोक तू उनका रास्ता
जिनका दिल मेरे लिए अब धड़कता है !!

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19 APR AT 22:50

Questions of citizens of India

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19 APR AT 16:38

Election 2024 Special

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19 APR AT 13:50

तुझमें और मुझमें बस इतना सा फर्क है:-
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तुम करोड़पति बनने का लालसा में उम्र गुजार रहे हो
और मैं करोड़ों के दिलों में बसने की चाह में जी रहा हूं
यह अटल सत्य है मरेंगे तो दोनों ही एक ना एक दिन,
तुम मरते ही दुनियां से औंझल हो जाओगे और
हम मरने के बाद भी लोगों के दिलो में समा जाएंगे

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18 APR AT 23:17

Election Special

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16 APR AT 0:53

ढूंढो तुम्हें मैं हर गलियों में
तेरा दर और ठिकाना है कहां

अब नम आंखें भी पथरा गई है
ना देर कर ना ही इंतजार करा मुझे

थक हार बैठा हूं कब से इन रास्तों में
जो तेरी ओर ले जाए वह रास्ता तो बता

अब ढूंढो तुम्हें किस शहर व नगर में
बता तेरा अब आशियाना है कहां

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9 APR AT 22:36

जिनलोगों को संस्कृति शब्द का सही परिभाषा मालूम नहीं है आज वो लोग संस्कृति बचाने की बात कर रहे हैं। यह खुद ही अपनी संस्कृति बर्बाद कर रहे हैं और इन्हें कौन समझाएं।
इसीलिए मैं उनको कहना चाहूंगा की सबसे पहले शिक्षित बनो ,अपने संस्कारों को समझो और अपने अंदर मानवीय नैतिकता झांक कर देखो फिर अपने आप ही संस्कृति संरक्षित हो जाएगी।

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