मैं ठहरी हूँ
तुम्हारे अंतस की गहराई में,
तुम मुझे हर्फ-दर-हर्फ लिख लेना ।
मैं ठहरी हूँं
तुम्हारे बगियां की पुरवाई में,
तुम मेरी यादों में दिल को महका देना ।
मैं ठहरी हूँ
तुम्हारे इंतजार की रूसवाई में,
तुम मेरे लिए झूठ़ मूठ़ ही सही मुस्कुरा देना।
मैं ठहरी हूँ
तुम्हारी महफ़िल की तन्हाई में ,
तुम ख्यालों में खोकर कोई गज़ल सुना देना ।
मैं ठहरी हूँ
तुम्हारी भोर की पहली अंगडाई में,
तुम पूनम समझ के चाय की प्याली लबों से लगा लेना।
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