'मेरा परिचय'
मैं अपना परिचय क्या दूँ..
जन्मभूमि जौनपुर ननिहाल रहा
शैक्षिक पृष्ठभूमि था सोनभद्र
अब कर्मभूमि प्रतापगढ़ बना
आगे क्या होगा ये क्या कहूँ
मैं अपना परिचय क्या दूँ
पाँच भाई-बहनों में बड़ी रही
जिम्मेदारियों से घिरी रही
शिक्षा को स्तम्भ मानकर
हर कक्षा में अव्वल रही
कृष्ण-भक्ति रहा बचपन से
कविता भी लिख दी बतला दूँ
मैं अपना परिचय क्या दूँ...
वैवाहिक जीवन की कठिन डगर
संघर्ष किया है प्रतिक्षण
सानिध्य हुआ,समृद्ध हुआ
दोनों बेटों के नाम बता दूँ
मैं अपना परिचय क्या दूँ
कुछ मिलता है तो कुछ खोता है
ईश्वर की मर्जी से सब होता है
पद मिला,गौरव मिला
प्रिन्सिपल का मान बढ़ा दूँ
मैंअपना परिचय क्या दूँ..
जीवन में हुआ दुर्लभ संयोग
उपजा प्रेम उर हुआ वियोग
राधा रानी की कृपा सी
पूनम हो गयी प्रेयसी
पूनम'प्रेयसी'के सृजन को
अब एक नया आयाम दूँ ..! पूनम'प्रेयसी'
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