Poojan Majmudar   (Pujaaan Mmajmudar)
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Joined 24 September 2017


Joined 24 September 2017
11 HOURS AGO

where the performance ground is
the universe,
we humans are trapeze artists, who
keep on sailing here n there in air,
hanging almost in limbo state
animals though are better than humans,
they atleast can touch the ground,
and the Almighty is ring master
who keep on laughing
whether we are happy or sad

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11 HOURS AGO

अकेलापन जैसे नए अल्फाज़ लाता है
रातों का सुकून नए नए ख़्वाब लाता है

सांसें जब अटककर चलती हैं कभी
जिस्म हर पल नया हिसाब लाता है

रोज़ वो देखता रहता है उस हुस्न को
रोज़ वो छिपाकर लाल गुलाब लाता है

मैंने हमेशा से चाही है प्यार की बारिश
यार मेरा मेरे लिए क्यूं सराब लाता है

वो लड़की चाहती है जग में नाम कमाना
कोई न कोई उसके लिए नक़ाब लाता है

धड़कता है दिल बस इसी खयाल से
वो आएगी, और कानों में रबाब आता है
( सराब – मृगतृष्णा , रबाब – एक साझ)

पुजन मजमुदार ७/५/२४

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12 HOURS AGO

खिला हुआ है फुल या चेहरा मेरा, कैसे बताऊं ?
आ गए हो बाहों में तो कुछ भी अब क्यूं छिपाऊं?

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15 HOURS AGO

हम प्यार की मस्ती में इस तरह चूर हो गए
अंतर्मन के घाव न जाने कब नासूर हो गए

सूखे ही रहे हम सहरा की प्यासी रेत जैसे
आप भले समंदर की तरह, भरपूर हो गए

लिखना पढ़ना सीखा होता तो अच्छा था
न जाने कब आप हमसे कितने दूर हो गए

बस थोड़ा सा ही वक्त गुज़ारा था साथ में
इतने में ही आप इन आंखों के नूर हो गए

बात जलने की है तो जीत गए आज हम
आप अगर मोमबत्ती हो, हम कपूर हो गए

पुजन मजमुदार ७/५/२४

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15 HOURS AGO

ये रंगों की बौछार कहां से यहां तक आई है ?
एक पत्ते ने फुल संग रहकर खुश्बू बिखराई है

उलझी हुई लटों ने मचाया है कोहराम दिल में
हर धड़कन में तुम्हें ही पाने की प्यास छाई है

कहते हैं समझ नहीं सका वो इश्क़ को उसके
आज देखो उसकी भी ज़िंदगी में बहार आई है

धूप ओढ़े पड़ा हुं घर पर तन्हाई के आलम में
साथ मेरे मेरी कुछ ग़ज़लें नज़्म और रूबाई है

हुजूम लगा हुआ है बीच रास्ते लोगों का ऐसा
तकलीफ़ में आज इनसानियत और ख़ुदाई है

वो आइना देखकर संवर रहे हैं आज फिर से
उन्हें देखकर कितनों ने, हाय तौबा मचाई है

पुजन मजमुदार ७/५/२४


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6 MAY AT 13:28

किया था जो आपने वो दिल में बसी याद है
हमें किसी बात से कहां कोई फ़रियाद है ?

सिक्का इश्क़ का सही गिरा, कभी उल्टा
समझ सकते हैं सब वक्त वक्त की बात है

कुरेदते ही रहते थे पुराने घावों को अक्सर
बड़ी मुश्किल से पाई हमने इससे निजाद है

तरसता रहता था किसी के बुलाने के लिए
आज अचानक मुझे किसने दी आवाज़ है

भीड़ में तन्हा रहना कोई हमसे सिख ले
आदत ये पुरानी है जिसमें हम उस्ताद हैं

थोड़ा प्यार चख लो पास आकर कभी तो
कुछ नहीं ये आपका ही दिया, प्रसाद है

पुजन मजमुदार ६/५/२४

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6 MAY AT 13:09

उमड़ आती हैं
खुशियां सारी


ख़त्म हो जाती हैं
नादानियां सारी

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6 MAY AT 13:02

फानूस के उजाले में चमक रहा है चेहरा
रंग प्यार का धीरे धीरे होने लगा है गहरा

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6 MAY AT 13:00

हम हैं जब से तभी से साथ आई है
हम हैं, इसी लिए हमारी परछाई है

सुबह आख़िर हो गई है, तो जाना
कैसी जाग जागकर रात बिताई है

कोई देखे तो जाने क्या हुआ होगा
बिखरा सा बिस्तर तकिया रजाई है

सुनते हैं सब हमारी आजकल यहां
बातें नहीं समझे सब को समझाई है

अभी तो हाथ बढ़ाया ही है छूने को
छुईमुई बाग़ में कैसे देखो शरमाई है

वक्त पे आने का मज़ा ही है अलग
आ जाओ अभी थोड़ी शाम बचाई है

पुजन मजमुदार ६/५/२४




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6 MAY AT 9:57

ભીતરનું અંધારું વલોવાય ને ઉજાસ થાય
ક્યારેક આમ, સમુદ્ર મંથનનો પ્રયાસ થાય

સૂરજ રોજ ઉગે ને આથમે રાબેતા મુજબ
રોજ કોઈ નવું મળે ને જૂનો ઈતિહાસ થાય

તાપ તડકો બીજ હળ પાણી ખેતર ખેડૂત
ચાહે લીલોતરી પણ સાવ કોરા કપાસ થાય

આમ નવરો ને આમ છાપે ચડેલો એ શખ્સ
કોઈનું કંઈ ખોવાય ને એને ઘેર તપાસ થાય

મણકા ગણ્યા કરે સપનાંની ગૂંથેલી માળાના
બે પ્રેમીઓ મળે, તો સાચો સહવાસ થાય

ચાંદની રોજ આવે સાંજની મીઠી ઠંડક લઈ
તારા આસપાસ હોવાનો મને આભાસ થાય

પુજન મજમુદાર ૬/૫/૨૪



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