आज फिर इंसानियत हो गई शर्मसार
हुई जीत हैवानियत की और एक बार
आज फिर एक बेटी के साथ हुई सारी हदें पार
अफसोस, न्याय देने में असफल रही देश की सरकार
और आज फिर हो गई लोकतंत्र की हार
भीड़ निकली मोमबत्तियां जली कई हजार
लेकिन क्या हुआ हसिल, सब है बेकार
काश कि किसी ने ली होती हाथों में तलवार
और दिखा देते उन दरिंदों को मां काली का अवतार
आखिर हर बार बेटियां ही क्यों झेले इन दरिंदों का वार
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