क्यूँ ये दुनिया ऐसी रिवायत अदा करवाती हैं,
तुझसे बिछुड़ने की घड़ी क्यूँ आ जाती है माँ।
नए धागों से सुनहरे ख़्वाब बुन तो रही है जिंदगी,फिर भी
समय की धूप में तेरी गोद बहुत याद आती है माँ।
खुशनुमा अरमान है, खूबसूरत हैं सफ़र के रंग भी,पर
मेरी रूह तेरे आंचल की छाव से मेहरूम रह जाती हैं माँ।
अनजाने शहर की हवाओं से जुड़ गया है नाता गहरा,
कभी कभी इन से भी तेरे प्यार की महक आ जाती है माँ।
तेरे संग बीते लम्हें अनमोल है मेरे वास्ते
संजो कर रखे है दिल में जो ये यादों के मोती है माँ
जिन्दगी पल पल ही नए रूपों में नज़र आती हैं,फिर भी
तेरी याद बहुत आती है, तेरी याद बहुत आती है माँ।।
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