खड़े हम आज भी मुस्कुरा रहे दुनिया से नज़रें मिला अपने आंसु छिपा रहे अपनी कमज़ोरियों को ताक़त बना खुद को क़ाबिल बना रहे हमसफ़र के साथ को भूल अपनी मंजिल की ओर क़दम बढ़ा रहे....
प्यार का वो पहला गुलाब सदैव प्रियतम का दिया लाल फूल नहीं होता, कभी कभी वो नन्ही कली भी होती है जिसे एक माॅं फूल बनने तक नौ महीने अपने गर्भ में सींचती है.....
में हम भी सवार होना चाहते हैं, गुजरते हर पल को दिल में संजोकर रखना चाहते हैं, सफ़र-ए-मंजिल पूरा हो उससे पहले इज़हार-ए-मोहब्बत करना चाहते हैं! दोस्ती के रिश्ते को नया मुकाम देना चाहते हैं हर सफ़र में हमसफ़र, हमकदम बनना चाहते हैं........❣️