Payal Das  
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Joined 18 March 2017


Joined 18 March 2017
23 SEP 2021 AT 1:35

ये हवाओं का चलना ये जुल्फों का उड़ना
मेरे लिए ये सारी बातें थी फिल्मी और अपवाद
उस दिन जुल्फें उड़ी हवाएं चली घटाएं गिरी
कुछ इस तरह थी हमारी पहली मुलाकात
उसके बाद जब जब भी मैं तुम्हें अंधेरी रातों में देखता हूँ
उपमा और रूपक की सोच में डूब जाता हूँ
तुम चंद्रमा के समान हो या तुम्हीं चंद्रमा हो
इसी ऊहापोह में मैं दोनो की परिभासा ही भूल जाता हूँ।
लाल कपड़ों में तुम्हें देख सब मोहब्बत की खुदाई मांगे
उगता सूरज भी रोशनी की खोज में तुमसे रोशनाई मांगे
वो पलाश के फूलों ने जब से तुम्हें देखा है
वह भी खुदा से अपने वजूद की रहनुमाई मांगे।

-अंकित तिवारी

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23 SEP 2021 AT 1:31

I met you years ago my love,
But time still feels the same,
I get the same glow on my face,
Whenever someone takes your name,
The years that have passed,
have been so good,
Life with you has been good touch wood,
I wish that our love stays this way,
Till the very end Where there are feelings so pure,
And there is no pretend,
Every year I love you a little more.

Composed By-Yateesh Bhardwaj

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23 SEP 2021 AT 1:29

वो पहली मुलाकात जिसका जहन में है असर आज भी मेने।
वो पहली मुलाकात जिसके नजारे है नजर में आज भी ,
उस पहली मुलाकात में ही हमारे ख्वाबों को पिरोया है मेने,
महज कुछ लम्हों का नही उम्रभर का तुमसे इश्क किया है मेने।। पहली दफा तोहफे में मेने तुम्हे सबसे क़ीमती अपना दिल दिया था,
पहली मुलाकात में प्यार के नग़मे बुने और मोहब्बत से मिल लिया था,
कतरा एक भी आंसू का बहने ना दूंगा ये वादा भी किया है मेने, महज कुछ लम्हों का नही उम्रभर का तुमसे इश्क किया है मेने।।

-Sourabh Sharma

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23 SEP 2021 AT 1:26

वैसे तो हर मुलाकात खास है।
पर पहली मुलाकात की अपनी ही कुछ बात है।।
एक नए अहसास, नए रिश्ते की नींव है पहली मुलाकात।।
बातें कम यादें ज्यादा है।
अलग से जज़्बात है उस मुलाकात में जो आज भी गहरे राज है।। हर बार उस मुलाकात को याद करके मुस्कुराता हू।
किसी अलग ही दुनिया में खो जाता हू।।
ज़िंदगी आगे बढ़ रही है।
कुछ नई मुलाकात रच रही है।।

-Yogesh

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23 SEP 2021 AT 1:24

गालों पर थी लाली,
और चेहरे पर था बेशूमार नूर|
धडकने मेरी जो बढने लगी थी,
वो उनकी ही नज़रों का था कसूर|
हाँ, जुबां पर भी खामोशी,
लेकिन दिल में तूफान था जरूर|
थम सा गया दिमाग सोच में इतनी,
चंद लम्हों में ही हो जाना है उनसे दूर|
ये इत्तिफ़ाक़ से हुई मुलाकात थी पहली,
जहाँ मीठें लगे थे मुझे इश्क़ के खट्टे अंगूर|

- Krima Prajapati

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23 SEP 2021 AT 1:20

दिया उसने दस्तक जब,
धड़कनों को हो गयी आहट थी ।
पलकें मेरी झुक गई,
निगाहों पे शर्माहट थी।
बातें हजार थी कहने को,
मगर लफ़्ज़ों पे हिचकिचाहट थी ।
एक दूसरे के दीदार का,
दो दिलों की चाहत थी ।
वो पहली मुलाकात में उनसे दिल में
कुछ इस कदर बेचैनी छायी ।
के नजरें भी उन्हीं के इंतजार में थी
फिर भी उन्हीं से नजरें ना मिला पायी ।

-Kanish Fatma

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21 SEP 2021 AT 22:30

अजीब दास्ताँ है अपनी पहली मुलाकात की कि मिलते ही दुश्मन बन बैठे उसके . और वो बादलों की तरह मुझपे गरजती गयी और मैं बारिश की बूँदों की तरह टिप टिप बरसता गया.. वो अपनी बातों से मुझे डाटती गयी और मैं मुस्कराता गया.. वो अपनी गुस्से भरी आखों से मुझे घुरती गयी और मै उसकी आखों मे डूबता गया.. वो नजरों से दूर करती रही और मै उसको नजरों से करीब करता रहा .. मेरी नजर मिलते ही वो बाते अधूरी छोड़ के चली गयी और मेरी मुलाकाते अधूरी रह गयी.. कहना तो उससे बहुत कुछ था लेकिन वो सफर अधूरा रह गया..

-Kajal Singh

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21 SEP 2021 AT 11:44

SHE!
A mid of roaring &chaos, with standing the storms,
Bent neck with cripping spine& bleeding nerves, drooping down as it drops,she dies with each breath,the throbbing pain paused,
With the most loved cries
A wait ended as a princess she arise. Yelling reddish more than the burn,here is the first meet melts her with Gleaming body with Fresh glowing eyes, stares the powerful warrior with patience. Heart flickers with flashes with lashes. The great love poured from hearts in a drop of tear.
The sparkle in her eyes at the stare, she smiles for miles over her struggle!

-Dheekshana Jayamoorthy

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21 SEP 2021 AT 11:36

बारिश की हल्की सी बूँदो से सजी वो रात
जुगनुओं की वो टिमटिमाती टोली
प्रकृति भी साक्ष्य थी
हमारी पहली मुलाकात की
आखें दोनो की झुकी ,सुरुआत पहले कौन करे
यही सोच दोनो शर्माए
आया वो पल भी
जब दोनो एक दूसरें को देख मुस्कुराये
थम गया वो क्षण वहीं पर
दिल के जज़्बात जब लबों पर आए

-Kajal Pandey

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21 SEP 2021 AT 11:31

मैंने देखा था उसको अचानक से ही,
मेरी आँखों में कर गयी अजब सी नमी।
देखते ही उसे मैं कहां खो गया।
जादू उसका ये मुझ पर यूंही चल गया
उसकी नज़रों से नज़रें जो टकरा गयी,
फिर तो जुलफों में उसके घटा छा गयी।
रूप उसका सुनहरे सितारों सा था।
मैं उसे देखता बस बेचारों सा था।
दोस्तों, तुम यह सोचोगे क्या थी घड़ी,
यारों उससे वह पहली मुलाकात थी।

-Sumbul Siraj

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