Pathik   (Pathik)
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इस अनन्त ब्रह्माण्ड के सफर पर निकला एक "पथिक'' हूं मैं
Joined 17 November 2019


इस अनन्त ब्रह्माण्ड के सफर पर निकला एक "पथिक'' हूं मैं
Joined 17 November 2019
11 DEC 2021 AT 21:35

आंहां हमर आंगन में
छिटकल इजोरिया छी,
जो हम तस्कर त आंहां
रातुक अन्हरिया छी,,
हमर कविता के प्रसंग,
रस, छन्द,अलंकार छी,
अहां हम्मर, हम आंहां के
सम्पूर्ण संसार छी,,

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19 OCT 2021 AT 22:48

मिथिलाक व्यथा
बिसरिगेनऊ हम मिथिलाक शान
कतय गेल मोर। माछ मखान,,
लोरी गुम भेल, गुम भेल लगनी,
बिसरी गेनउ प्रातिक तान,
शूगा करय छल वेदक बखान,,
कतय गेल मोर। माछ मखान,,
सीता सन संतति छलि मोरी,
पाहुन छलइथ मर्यादा राम,
लोड़िक, सलहेस के कर्म भूमि,,
विद्यापति के छलइन दलान,
वीरक भूमि छल मिथिला धाम,,
कतय गेल मोर। माछ मखान,,
मंडन, अयाची बढाओल मान,
मधुर बोल, मुश्कइत मुख पान,
चुरा दही संग तिलक अचार,
भोजन में लागत विविध संचार,
संस्कार भूमि जल मिथिला धाम,
कतय गेल मोर। माछ मखान,,
आब ने पूछू मिथिलाक हाल,
दहेजक प्रथा बेटिक। काल,,
बाप लगाबी रहल बेटखक बोल,
कहुं। समइध कतेक भेल मोल,,
नारिक नहीं कतहुं सम्मान..
कतय गेल मोर। माछ मखान,,
Pathik

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19 OCT 2021 AT 22:25

आब ने पूछू मिथिलाक हाल,
दहेजक प्रथा बेटिक। काल,,
बाप लगाबी रहल बेटखक बोल,
कहुं। समइध कतेक भेल मोल,,
नारिक नहीं कतहुं सम्मान..
कतय गेल मोर। माछ मखान,,

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19 OCT 2021 AT 22:22

मंडन, अयाची बढाओल मान,
मधुर बोल, मुश्कइत मुख पान,
चुरा दही संग तिलक अचार,
भोजन में लागत विविध संचार,
संस्कार भूमि जल मिथिला धाम,
कतय गेल मोर। माछ मखान,,

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19 OCT 2021 AT 22:20

सीता सन संतति छलि मोरी,
पाहुन छलइथ मर्यादा राम,
लोड़िक, सलहेस के कर्म भूमि,,
विद्यापति के छलइन दलान,
वीरक भूमि छल मिथिला धाम,,
कतय गेल मोर। माछ मखान,,

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19 OCT 2021 AT 22:18

मिथिलाक व्यथा
बिसरिगेनऊ हम मिथिलाक शान
कतय गेल मोर। माछ मखान,,
लोरी गुम भेल, गुम भेल लगनी,
बिसरी गेनउ प्रातिक तान,
शूगा करय छल वेदक बखान,,
कतय गेल मोर। माछ मखान,,

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16 OCT 2021 AT 10:47

आंहां मिठगर पान बनारस के,
हम ताहि मिलल गुलकंद प्रिये,
आंहां शंखनाद छी मन्दिर के,
हम अस्सी के सीत बसात प्रिये,,

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16 OCT 2021 AT 10:44

आंहां निर्मल जल छी गंगा के
हम तट पर तरिपइत मीन प्रिये,
आंहां साउनक उमकल बादरी छी
हम चढ़ल बसन्ती भांग प्रिये!!

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16 OCT 2021 AT 10:39

आंहां रसभरी छी बनारस के ,
हम कुल्लहर वाली चाय प्रिये,
आंहां गुलाबी ठोड़ के लाली छी
हम तिलकक तीन निशान प्रिये!!

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16 OCT 2021 AT 10:34

आहा घाट अशी सन पावन छी,
हम मिथिला के छी कुमार बाभन,
अलग छी आहा सगरो जग स
हम अलग जग में छी ओझरायाल

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