आज ज़िंदा है ,तो कल गुजर जाएँगे ,
क्या पता ,कब् हम बिछड़ जाएँगे ,
कभी नाराज़ ना होना मेरी नादानियों पे दोस्त ,
ये वो लम्हें है ,जो ता उम्र याद आएँगे ।
फिर हम नही ,हमारी बातें हुआ करेंगी ,
ना फिर कभी ,ये मुलाक़ाते ,हुआ करेंगी ,
फिर मुमकिन ना होगा ,ये दीदार अपना ,
बस आँखों से ,बरसातें हुआ ,करेंगी ।
मेरे दिल, पे रख देना ,एक निशानी उसकी यारों ,
जो धड़कन हुआ करती थी , इसकी यारों ,
आगाह कर देना ,हर आशिक को ,इश्क़ के अंजाम से ,
फिर किसी को ना करनी पड़े ,यूँ खुदख़ुशी यारों ।
अगर वो आये मेरे जनाज़े मे , लौटाना नही उसको ,
मगर ,चेहरा भी मेरा , दिखाना नही उसकों ,
कही वो रख दे हाथ सीने पे ,वो साँसे लौट आये ,
अब और जी कर ,सताना नही है उसको ।
अगर कोई पूछे ,वजह मेरे मरने की ,
कहना ,
एक पागल था ,
सच ,किसी को बताना नही यारो ।।
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