Paras Mathur   (Paras Mathur)
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Joined 20 June 2020


Joined 20 June 2020
24 OCT 2021 AT 12:26

कपड़े उतारने की इस दौर में,
इस करवाचौथ पर मैं तुम्हे एक दुप्पटा उपहार देना चाहता हूं.....

तमन्ना बस इतनी है रब से मैं सारी दुनिया के सामने तुम्हे अपना बनाना चाहता हूं....

दूर होकर तुझसे तुझे पास लाना चाहता हूं,
नही चाहता तुझे कोई मेरे जितना
ये तुझे एहसास कराना चाहता हूं....

तुम्हारे सांसे तुम्हारी धड़कन को,
मैं अपनी सांसों में छुपाना चाहता हूं,
तुम्हारे सारे सपनो को मैं अपनी आंखो में संजोना चाहता हूं....

और इस प्रेम के भवर में फसे अपनी किश्ती निकालकर,
प्रेम के किनारे पर हमरा संसार बसाना चाहता हूं....

जो हमारा आने वाला कल है मैं उसका आज होना चाहता हूं,

और मैं प्रेम के प्रतीक श्याम नही,
मैं तो सिर्फ अपनी सीता की राम होना चाहता हूं.....

कपड़े उतारने की इस दौर में,
इस करवाचौथ पर मैं तुम्हे एक दुप्पटा उपहार देना चाहता हूं.....

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24 OCT 2021 AT 12:19

लोग कहते हैं इश्क दोबारा हो सकता है,
कोई तेरे जितना प्यारा हो सकता है।
मैने खुदा से तुमको मांगा है....जानेमन
मेरा बस एक से गुजरा हो सकता है...।।

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24 OCT 2021 AT 12:15

23 साल का युवक फांसी चढ़ रहा था,
62 साल का बूढ़ा तब तमाशा देख रहा था....

वह युवक आज आतंकवादी कहलाता हैं,
और वह बूढ़ा आज राष्ट्रपिता कहलाता है....।

वैसे भी राष्ट्र के पिता नही, सपूत होते है ये बात होती है सबके होठों पर ,

अच्छा हुआ भगत सिंह तेरा चेहरा नही है नोटो पर....
वरना कुचला जाता तू भी मुन्नी और शीला के कोठों पर....

तू था तू है और तू रहेगा वीरों के दिल में,
भले ही रहने दे गांधी के फोटो को नोटो पर....।।

तू शहीद हुआ तब न जाने कैसे तेरी मां सोई होगी,
एक बात तो तय है, तुझे गले लगाकर रस्सी भी सौ बार रोई होगी....।।

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18 MAR 2021 AT 19:13

लिखना चाहूं.....

लिखना चाहूं मै हम दोनो के बीच की असीमित दूरी को....
समाज के कुछ रिश्तों को और कुछ दिल के मजबूरी को..।

मै भारत का जवान मेरा समर्पण मेरी मातृ - भूमि को....
एक अरसे से घर नही गया क्या हालात बयां करु मेरी बीवी को..।।

लिखना चाहूं मै अभिमान में चूर लोगो की अमीरी को....
शब्दो से संवारना चाहूं किसान की अमिट छाप गरीबी को..।।

लिखना चाहूं मै पक्ष - विपक्ष की राजनैतिक दलाली को....
मेरे सुधारने से सुधरे तो सुधारना चाहूं देश की स्तिथि को..।।

लिखना चाहूं मै बदलते वक्त में जिंदगी की उपलब्धि को...
हर एक किस्सा तुझसे ही पूर्ण शुक्रिया मेरी लेखनी को..।।

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18 MAR 2021 AT 19:07

तुम नही बदले.....

बदल गया मौसम और बदल गया पूरा जमाना....
एक तुम ही नही बदले ऐसे हुआ तेरे प्यार मे दीवाना..।

लिखे जो खत और पैगाम प्यार से तेरे नाम के....
अल्फाज से चांदनी रात में मेरे सपनो में चले आना..।

सबसे छुपकर बात करना तो मुश्किल होता है....
जुगाड ऐसा की मेरे नंबर पर विज्ञापन कॉल बताना..।

आज भी वही अंदाज है मेरे प्यार करने का....
कोचिंग के बहाने मेरे रूम मुझसे मिलने आना..।

बदल गया लम्हा, दिन और साल पर तुम नही बदली....
तुम वही प्यार हो मेरा जो लगता है कि आज भी जिंदगी तेरे संग बिताना....।

बदल गया मौसम बदल गया पूरा जमाना....
एक तुम नही बदली ऐसे हुआ तेरे प्यार में दीवाना..।

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1 MAR 2021 AT 18:51

अल्फ़ाज़ सारे सूखे पड़े है ,
इस महफ़िल का मै क्या करु.....
और मै जानता हूं कि तुम साथ नहीं दोगी ,
लेकिन मेरे इस पागल दिल का मै क्या करु.....।
छूट गई जो दूर कहीं जिसे चाहा था आरसो से ,
मिल ना सकी जो मिन्नतों पर भी उस मंज़िल का मै क्या करु.....
और मेरा दिल अनपढ़ हैं कमबख्त दिमाग की सुनता नहीं कैसे समझाऊं इसे ,
आखिर इस जाहिल का मै क्या करु.....!

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1 JAN 2021 AT 12:12

देखो नूतन वर्ष हैं आया,
धरा पुलकित हुई गगन मुस्काया।
एक खूबसूरती, एक एहसास
एक ताज़गी, एक विश्वास
एक सपना, एक सच्चाई
एक कल्पना, एक एहसास।
यही हैं एक नव वर्ष की शुरुआत।

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5 DEC 2020 AT 23:38

हम जिसे चाहते है उस इंसान का साथ होना जरूरी नहीं है
बस उसका साथ होने का अहसास ही काफी होती है....।

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2 DEC 2020 AT 21:49

"रोज आती है "

कभी नदी में, कभी पनघट में वो पानी भरने आती है.... ,
चुपके के से वो देखके मुझको,
मेरे दिल में आग लगाती है....।
जलपरी सी लगती है वो, जब कमर में मटका को ले जाती है....,
और देवी जैसा रूप है उसका नाम वो मनु बताती है....।
आग सी लगती है सीने में जब वो नजरे झुकाकर शर्माती है ....।।
कभी नदी में , तो कभी पनघट में वो पानी भरने आती है.....,
चुपके से वो देखके मझको ,
मेरे दिल में आग लगाती है....।।

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15 NOV 2020 AT 11:57

सौ ग्राम फाउंडेशन लगाकर श्रृंगार रस दर्शाती है,

ये आजकल के छात्रा है साहब बिना लिपस्टिक लगाए कोचिंग नहीं जाती है....!

ये जो उनकी गाल पर डिंपल होती हैं , गजब कमाल कर जाती है !
और जब वो मुस्कुराती है , पूरे स्कूल में हलचल सी मच जाती है...!!

माथे पर चांद सी बिंदी , नाक में नथ , चेहरे पर उड़ी जुल्फे और हाथो में मेहंदी लगाकर वो श्रृंगार करती है....,
और मासूमियत तो देखो उनकी आईना देख खुद को संवरती है....!

ये आजकल की छात्रा है साहब बिना लिपस्टिक लगाए कोचिंग नहीं जाती हैं....!!

सुबह - सुबह श्रृंगार करके जब वो स्कूल में आती है....
प्रार्थना के लिए फिर जब वो ग्राउंड में आती है....!

देखकर हमारी प्रिंसिपल को जब गुस्सा आती है...
रोज फिर लड़कियों को गुस्से में दो - चार बात सुनाती है....।

सौ ग्राम फाउंडेशन लगाकर श्रृंगार रस दर्शाती है ,
ये आजकल के छात्रा है साहब बिना लिपस्टिक लगाए कोचिंग नहीं जाती हैं....

ज्ञानोदय पब्लिक स्कूल की वो शान बढ़ाती है...,
हरबार बोर्ड पेपर में अच्छे प्रतिशत लाकर स्कूल की वो सम्मान बढ़ाती है....

सौ ग्राम फाउंडेशन लगाकर श्रृंगार रस दर्शाती हैं...,
ये आजकल के छात्रा है साहब बिना लिपस्टिक लगाए कोचिंग नहीं जाती हैं...!!

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