बेटा हिम्मत मत हार
कुछ नहीं होता
यह कह कर जब आप
पीठ थपथपाते थे
सच कहता हूँ पापा ना जाने
कितने टूटे हुए सपने
आंखों में फिर से जगमगाते थे|
आप के जाने से बेशक अंदर ही अंदर
टूटा हूं
पर अब हिम्मत नहीं हारता
अखिर आप ही का बेटा हूं |
अब जब आप ही नहीं
तो सोच सोच कर सहम सा जाता हूँ
मंज़िल पर पहुंच कर भी
ना जाने क्यूं ख़ुद को तन्हा सफ़र में पाता हूँ
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