Pankaj Bist   (पंकज बिष्ट 'रूही')
390 Followers · 231 Following

read more
Joined 3 June 2021


read more
Joined 3 June 2021
20 APR AT 21:50

यूँ न देखो हमें तुम, वर्ना फिर बहक जाओगे,
इश्क़ में पड़ के मेरी, रूह तक महक जाओगे,
ग़र इबादत सुबह-ओ-शाम, मेरी करते रहोगे,
तो दीन-ओ-ईमान से तुम, ख़ाली रह जाओगे,

-


20 APR AT 9:02

बिगड़ती है, संवरती है,
उलझती है, सुलझती है,
नई नवेली माशूका-सी,
ज़िंदगी भी अकड़ती है।

-


19 APR AT 21:26

इश्क़ के मानिंद, ये ज़िंदगी भी हमें बहुत तरसाती है,
ये ज़ुल्म ढाती है, और मोहब्बत इससे बढ़ती जाती है।

-


19 APR AT 15:17

ग़म पे ग़म देता चला गया, वो मुझे आज़माने को,
देख बर्दाश्त, भेजे फ़रिश्ते सहूलियत जुटाने को,

-


16 MAR AT 13:58

मोड़ कोई भी हो,
मोहब्बत मजबूर नहीं होती,
लाख हो बाधाएं,
दिलों से कभी दूर नहीं होती,
लैला के इश्क़ में,
हासिल न होती रुसवाईयाँ,
तो हस्ती मजनूं की,
ज़माने में मशहूर नहीं होती।

-


15 MAR AT 23:28

जो ठहर गए तेरी पलकों तले, तो न सम्हल पाओगे तुम,
टूटेंगे ख़्वाब जो आँखों में, तो छन से बिखर जाओगे तुम।

-


15 MAR AT 0:15

चाहता हूं मैं, काश ये दुआ क़ुबूल हो जाए,
दिल के बदले में, प्यार उनका वसूल हो जाए,
मिला दे हर हीर को, उसके रांझे से कुछ यूं,
कि इश्क़ वालों के, हम फिर रसूल हो जाए।

-


13 MAR AT 6:00

खुदा है तेरा नाम, सर-ज़मीन-ए-दिल पे,
तू दर खोल के, दिल में मेरे आ तो सही,

-


8 MAR AT 23:02

एक मासूम की, बड़ी दर्द-भरी कहानी सुनो,
चुप है वो, तुम इसको बस मेरी ज़ुबानी सुनो,

एक फ़रेबी के झांसे में आ, गुनहगार बन गई,
वो थी मज़लूम, उसकी अपनों से ही तन गई,

गल्ती दोनों की, फक़त लड़की ही शर्मिंदा है,
वो तो बे-हिसी की दुनिया का, इक बाशिंदा है,

दोनों तरफ़, देखो औरतें ही मजलूम होती है,
हर ख़ुशी से, बस औरतें ही महरूम होती है,

क़सीदे शान में, ऐसे पुरुषों के ही पढ़े जाते हैं,
औरत की क़िस्मत में तो, बस दाग गढ़े जाते हैं,

हो सके तो, आज के दिन एक काम करना,
औरत है मां, उसे न तुम यूं बदनाम करना।

-


8 MAR AT 21:44

ख़ुशियों का संसार है औरत,
जीवन का आधार है औरत,

प्यार में दे वो, जान लूटा और,
गुस्से में देखो, अंगार है औरत,

दिल में बात, छुपा लेती सब,
बोले तो, अख़बार है औरत,

पुरुष ग्रीष्म की भरी दोपहरी,
सावन की ये फुहार है औरत,

जाहिल जिसको जूती समझे,
सिर पे रखी दस्तार है औरत,

कई जनम, अनपढ़ ही गुजरे,
तालीम की हकदार है औरत।

-


Fetching Pankaj Bist Quotes