Palak Anand   (Shafaq)
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I write just to express something ineffable...!!
Joined 5 June 2020


I write just to express something ineffable...!!
Joined 5 June 2020
11 SEP 2020 AT 10:55

हिकायतें कभी अधूरी नहीं हो सकती
सब्र तो रख ज़िंदगी में
वरना तो कोई आरज़ू भी पूरी नहीं हो सकती

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20 AUG 2020 AT 12:20

उस रोज देखा था उन्हें बारिश में भीगते हुए
हां कुछ चाहतें भी थी उनके साथ वहीं उसी पानी में डूबते हुए

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1 AUG 2020 AT 13:03

हाँ, बस कुछ पल के लिए ही सही
दिल के उस कोने में आकर ठहर जाओ

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29 JUL 2020 AT 10:20

चलो जाने दिया उन्हें अब जिनपर कभी मरते थे हम
क्या ही फायदा उन्हें अब याद करने का जो हमें बस भूलते गए हरदम

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22 JUL 2020 AT 11:29

कुछ इस कदर नूर था उनकी आँखों में
कि महर-ओ-माह भी फिके पड़ गए
बिलखते थे वो रात दिन आँसुओं में
और लोग उनकी मुस्कराहट के पीछे पड़ गए

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20 JUL 2020 AT 12:52

बारिशों की बूँदे बरस रही थी यूँ कुछ बीती यादों के साथ,
बिलख रही थी वो या कहूं झूम रही थी उन्हीं कुछ बीते जज़्बातों के साथ !!

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17 JUL 2020 AT 16:08

दिल बेचैन तो था बहुत,
पर अपनों के लिए सौ तमन्नाओं को छोड़ा है !!
हसरतों पर समझदारी का पत्थर रख,
आज फिर हमने कुछ ख़्वाहिशों से मुँह मोड़ा है !!

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14 JUL 2020 AT 12:22

सियासी खेलों ने ही तो बर्बाद किया है समाज.....
मसरूफ़ थे वो विपक्ष को गिराने में इतना की भूल गए आम-आदमी का लिहाज़ !!

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11 JUL 2020 AT 10:25

भूल गए थे ज़माने की उन क़ातिल रिवायतों को जनाब,
तभी तो चीर डाला उन्होनें हमें अंदर से बेहिसाब !!

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9 JUL 2020 AT 11:59

तकलीफों के मंज़र में भटक रहे थे तो सोचा थोड़ा भाग निकलते हैं,
थककर थोड़ा रुके तो जाना हम तो रेगिस्तान में बैठे हैं!!

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