OumAli Jol  
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Joined 19 May 2017


Joined 19 May 2017
6 MAY AT 16:38

the other goes on explaining in repetitive
of
what is known

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6 MAY AT 14:19

कि में बहत दफा पिछे जाती हूं
वक्त से होकर खुदको कुरेदती हूं
इक हर पन्ने पे लिखा हुआ किताब पड़ती हूं
दास्तां-ए-गुल मुझे जाम-ए-शिकस्त समझाती हैं
में इस ज़माने में होकर उस ज़माने में चढ़ती हूं
खुदा ने दिया हैं जो दिया हैं बड़ी प्यार से
में अपनी उंगली से उसे मेरी नसीब में लिपटाती हूं
की में बहत दफा पिछे चली जाती हूं
तमाम मेरे गलियों में रास्ता पुराना तकता हूं
में समय से बिछड़कर ख्यालों सा बिखरती हूं
में हर दफा सिर्फ पीछे चली जाती हूं
जिंदा दिल से ज़िंदगी की पहली की मौत को ढूंढता हूं
में खाली बेखाली सवाल से खुदको टटोलता हूं

में हर दफा पिछे चली आती हूं
लम्हों से गुज़र कर लम्हा में समेटना चाहती हूं
सारे वो पहलू का उनलीखत शब्दों को धिसकती हूं
में पीछे से पीछे और करीब आती जाती हूं
खुद से फिसलकर मैं मुझ तक पहुंच जाती हूं
में हर दफा सिर्फ पीछे की ओर निकलती हूं




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6 MAY AT 5:24

ये बोलती बहत हैं : बेहतरीन शामों वाली अक्षरों से इनकी सारा सादा तारा, इनकी पसंददीदा चुप्पी के ज़रिए

हम सब ही अपने अपने हालत के हिसाब से उनकी ये लोक-गाथा को अनुवाद कर लेते चलते हैं : चाहे क्यूं ना वो ode/song की दरिया का बचपन सा रिश्ते से चुनकर वो गाना दुखिता हो या आनंदित

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3 MAY AT 0:59


रात का वादा था मुझसे
हर रात चैन सोने न देने का ।
आज न जाने क्या हो गया उसे
आज न जाने क्या गया हुआ था उसे की
काल के हिसाब से वो हार गए
काल के हिसाब से वो हार गए जो
मनवा लागे ये यारी भारी पड़ी हैं तेरी उसकी उसूलों के बटखारे पे

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2 MAY AT 17:45

having a dive into a tight night dream
&
got found a fairer story and
in the next episode you gonna get a meet to a more than of that and
obviously you continuously are in getting eachtime more to more beautious stuffs
a
n
d so on

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1 MAY AT 22:32

घिरे रहे कुछ ऐसा
की बारिश आए और बादल की आंच भी न लगे ऐसा

तेरे कामपाश में हम सोते रहे ऐसा
ज़माना बीतते रहे हम जागते रहे ऐसा

तेरे कामपाश में हम रोए जी भरकर ऐसा
खुशी की आंसू हमारा पेट भराए ऐसा

तेरे कामपाश ने धूप में सुकून जताए ऐसा
प्रेमी की पूजा ने इंसान को खुदमे खुदा पहचानाया ऐसा

तेरे कामपाश में हम खोए खुदकोही ऐसा
खुद्मे और, औरों में खुद : महसूस आने लगे ऐसा

तेरे कामपाश में पूछे बगैर निकल लेते हैं हम ऐसा
तू न जब हो हम तुझमें ही चलता हूं ऐसा

तेरे कामपाश मुझे प्यार सिखाए यूं ऐसा

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1 MAY AT 18:42

One makes me awaken by any of promises; but . .

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1 MAY AT 18:37

When i share my parts of myself to&with others'

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1 MAY AT 9:41

devoting pain into peace

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1 MAY AT 9:38

अंदर बेफिक्र आवारापन
जैसी बचपन की खेलनेकी की नशा
डूबती डूबती दरिया की जाना उस पार
जैसे पैर में नाचने चला खुद ये पागल दिल

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