नव्या ज्योति   (Jyoti Rajput)
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Joined 24 May 2020


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Joined 24 May 2020

अजीब सी
दास्ता है न
जिंदगी की...

हमें हर उस
चीज़ की कीमत
तब पता चलती है...

जब वो हमसे
बहुत दूर...
चले गए होते हैं...!

-



'अक्सर' बेवजह ही
मुस्कुराने की आदत सी है हमारी,
और.. लोग अक्सर.. वजह पूछते रहते हैं.. |

-



ज़िन्दगी
की
कुछ सवालों
को
सुलझाने की
कोशिश ही
क्या कर ली
हमने...
:
नए प्रश्नों की
जाल में
और ही
फँसते चले गए... |

-



तेज रफ्तार से
भागती जिंदगी से
कुछ पलों को
चुराना है..
हाँ, मुझे फिर से
बचपन को जीना है..
उस छोटे, शैतानी दिमाग
से उन तमाम पहेलियों
को सुलझाना..
तमाम गलतियाँ करके
'माँ' से डाँट खाना...
फिर, उन से ही रुठकर
खुद को मनवाना...
छोटी छोटी खुशियों पर
दिल खोल कर मुस्कुराना...
दोस्तों के साथ बैठकर
खूब सारे गप्पे लडाना..
उन तमाम सारे
यादगार पलों को..
एक बार फिर समेटना है..
हाँ, मुझे फिर से
बचपन को जीना है..!
- @ज्योति

-



जमाने से बिलकुल ही
अलग सी है वो..
दिल से बहुत अच्छी पर
थोड़ी सी नटखट है वो..
बातें तो वो सदैव करती
है बहुत प्यारी -प्यारी,
पाकर इनका साथ
मैं हूँ ईश्वर की आभारी,
बहुत दिनों के बाद..
आज ये शुभ घड़ी है आयी,
सदा रहे आप खुश..
दिल से यहीं दुआ है हमारी,
जीवन के हर क्षेत्र में
मिले आपको बहुत
सारी सफलता...
कभी न रहे कोई काम अधूरा
और मिले आपको विफलता..
जिन्दगी के हर मोड़ पर कान्हा
का साथ आपको मिले,
और आप अपने माता - पिता
का नाम खूब रौशन करें...!

-



हर राहें आसान हो आप दोनों की
सदा आप दोनों खुश रहें..🌸

अपनी प्यारी -प्यारी सी रचनाओं को
निरन्तर आप दोनों लिखते रहें..🌸

प्रार्थना है, हमारी कान्हा से
आप दोनों की सारी ख्वाइसें पूरी हो..🌸

मिले आप दोनों को मंजिल अपनी
कोई न चाह अधूरी हो..🌸

हर तरफ हो छाई खुशियाँ ही खुशियाँ
जीवन सदा खुशहाल रहें..🌸

मिले सदा ईश्वर का साथ
गमों का कोई भी नाम न रहें..🌸

(आप दोनों को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं ❤)

-



कहते है कि..
ये दुनिया जैसी एक मंच है..
और हम सभी इसके
किरदार... और हमारी
कहानियां शुरु से अंत
तक पहले ही लिखी
जा चुकी है...पर,
ये किसी ने न बताया कि
हमें अभिनय क्या करना है...
और, हमारी कहानी कितनी
बड़ी है या छोटी...
पर, शायद इसलिए.. कि
हमारे जीवन में जो कुछ भी
घटित होने वाले है वो हमारे सारे
सवालों का जवाब देकर.. एक
चीज़ तो सीखा ही जाती है..
'चाहे हमारी कहानियां पहले
ही लिखी जा चुकी हो, पर
विपरीत परिस्थितियों से
हम कैसे निपटते है..
ये सिर्फ हमारे ऊपर ही
निर्भर करता है..
इसलिए.. विपरित परिस्थितियों
में टूटे नहीं बल्कि और
मजबूत बन कर उभरे..!

-



अक्सर.. देखा है..
कुछ लोगों द्वारा अखबार वालों
को तमाम तानें सुनाते हुए..
'तुम्हें वक्त का ज़रा भान नहीं..
आज फिर से तुम
दो मिनट देर से आए..,
देखो, इस तरह की
गैर जिम्मेवारी हमें
बिलकुल पसंद नहीं..
और.. उत्तर में उसे
क्षमा मांग..चेहरे पर
मुस्कान ला.. अपने कार्यों
को करते हुए..
जबकि सच तो ये है कि
समय का मूल्य उससे
बेहतर और कौन.. समझता है..
जो हरेक मौसम में
सुबह साढ़े तीन या चार बजे उठ
लेकर अखबार निकल.. जाता है..
ये जानते हुए कि..
मेरी अखबार की क़ीमत सिर्फ
सुबह की चाय से लेकर..
शाम की चाय तक ही है..!
फिर, ये कैसे संभव है कि
वो समय का मूल्य नहीं समझता..? _©ज्योति

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अपनत्व से
ओत - प्रोत,
प्रेम की जैसी
वो मुरत,

कोमल सा
हृदय इनका,
मुख पर
प्रसन्नता की
अनवरत झलक

मधुर - मधुर सी
बातें इनकी,
मोह ले जो
सबका मन,

अंतर्मन में
विराजतेे जिनके
शिव सदा,

( शेष अनुशीर्षक में )

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अन्त: मन
में पनपते
उन तमाम
पश्नों और
उनसे संबंधित
अनेक संभावनाएँ
जब मस्तिष्क में
विद्यमान मान हो
तब क्या कोई
शांत भावना से
अपने दिनचर्या के
कार्यो को कर सकता है..?

(अनुशीर्षक में पढ़े )

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