: कसमो , वादों की बात कर दिल लगाने वालो ,
गर स्त्री की कसमें बद्दुआ है तो हाँ नामर्द हो तुम ....
एक गलती की ताक में , मुहब्बत को पल में मिटाने वालो ,
गर स्त्री की जरा सी कमियां कड़वा है तो हाँ नामर्द हो तुम ....
[: धिक्कार है इस प्रेम को ,स्त्री को बस भोग की वस्तु समझने वालो ,
गर स्त्री का पवित्र प्रेम , रंगीनियों का जलवा है तो हाँ नामर्द हो तुम ...
खुद में कमियां होकर भी , मुहब्बत में कमियां निकालने की संकीर्ण सोच रखने वालों ,
गर स्त्री का जिस्म तुम्हारे लिए हलवा है तो हाँ नामर्द हो तुम ....
[: कभी अपनाया , कभी छोड़ दिया , साथ मौसम , मुहब्बत का रंग बदलने वालो ,
गर स्त्री का प्रेम मौसम का जलवा है तो हाँ नामर्द हो तुम ....
अपनी माँ, बहन के सिवा , मुहब्बत के हर रिश्ते को सेज की चादर समझने वालों ,
गर तुम्हारी नजर में स्त्री अबला है तो हाँ नामर्द हो तुम ....
[: जब चाहा अपनाया , जिसे चाहा छोड़ दिया , मुहब्बत को जिस्म का जलवा समझने वालो ,
गर स्त्री तुम्हारी जूतियों का तलवा है तो हाँ नामर्द हो तुम ....
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