फ़िर 40 दिन से खाली पड़ा बैग अब पुकारने लगा है,
फ़िर धीरे धीरे सामान अब जमने लगा है...
फ़िर वक़्त हाथों से फिसलने लगा है,
फ़िर से जाने की घड़ी करीब आ गई,
फ़िर से जुदाई का आँसू निकलने लगा है..
फ़िर लंबा इंतज़ार करना होगा हमें,
"जल्दी और दुरुस्त"आना ये दिल बोलने लगा है..
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