"ऐसा नहीं है-
सिर्फ ये हमें बदनाम करने की साज़िश है,
एफआईआर दर्ज आप,
जम्हूरियत की नौकरियों के लिए नाकाबिल हैं;
एफआईआर दर्ज हम-
हमें बस बदनाम करने की साज़िश है!
हम आला दरजे के,सिर्फ हम ही काबिल हैं;
हम जनता के एक सेवक-
हमारी सेवक जनता एक-दो नहीं,हजार है;
वो लड़कियां,क्यों इतनी आजाद है-
उन दलितों की जिंदगी,क्यों इतनी आबाद है;
हमसे बेहतर है वो कैसे,दुख अपार है!
हर कटती चेक पे हमारा ही नाम है,
आप जहां हैं,वही रहिए,यहां जीवन हराम है,
ऐसा तो बिल्कुल नहीं है-
मिठास भरी सुबह और सितारों वाली शाम है;
ये फरेब,ये झूठ,ये जुमले-
ये हम नहीं, ये अपाॅजिशन का ही काम है।
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