निशा   (NishA)
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Joined 15 March 2021


Joined 15 March 2021
19 FEB AT 23:59

अच्छे विचार होंगे तो, अच्छा व्यक्तित्व होगा,
अच्छा व्यक्तित्व होगा तो, बहुत प्रख्यात होगा।

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19 FEB AT 23:52

ख्वाबों को भी जला के रखा है
राख से भी धुँआ निकाले रखा है

सूरज को भी ढलते देखा है
ठोकर खाकर कर भी चल कर देखा है


रातें जाग के जाती हैं अब
आंखें भी पलकों से गुनगुनाती हैं अब
कैसा ये रात का पहरा हुआ
क्या जाने कब जिंदगी में सवेरा होगा?

मुसीबतों से है, नहीं डर हमें
हम में ही हौसला का घर हुआ
आहटें हैं मुझे,
आयेगी वो सुबह,
जिस लिए रात भी सवेरा रहा।
जल्दी ही जिंदगी में वो सवेरा होगा
जल्दी ही जिंदगी में वो सवेरा होगा।

किस्मतों पर नहीं
मेहनत के पर सही
देख लो रोक के पर यहीं
उड़ान होगी फिर भी वहीं
जल्दी ही जिंदगी में वो सवेरा होगा
जल्दी ही जिंदगी में वो सवेरा होगा।

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19 FEB AT 23:36

मुठ्ठी में रेत से सही, इस तरह कोशिश करने वाले हैं;
खामोशियों से सही, कुछ इतिहास गढ़ने वाले हैं।।

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19 FEB AT 23:31

छोटी थी मेरा फ़र्ज़ था
तू भाई कहती, मरे लिए गर्व था।

ऊंगली पकड़कर स्कूल ले जाना
ग़लती हो तो भाई का नाम लेना,
थोड़ी बड़ी हुई तो बात बात पर लड़ना,
छोटी छोटी चीजों को लेकर रुठना,
हर बात अपनी मनवा लेना,
सारा दिन चहएल पहेल बनी रहना,
आज हर बातें याद करना फिर मुस्कुराना।

कब वक्त चला गया पता ना चला
लड़ते लड़ाते कब बड़े हो गए पता ना चला
कहते हैं लोग बहन हो तो खुशियां होती हैं
हमें तेरी खुशी का पता ना चला।


तेरा आज भी भाई कहना गर्व है मेरा
तुझे हर खुशी मिले ये फर्ज है मेरा।

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19 FEB AT 23:27

ख़्वाबों को परवान चढ़ाएंगे,
एक दिन आसमान में परचम लहराएंगे।

मुश्किल पहाड़ सी बन जाएं जितनी,
हम पहाड़ में भी राह बनायेंगे।

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19 FEB AT 22:46

असफल जरुर हुए हैं
उम्मीदों को फिर जगायेंगे
सफलता की नई राह बनायेंगे।

हर कमी को सुधारेंगे
पिछले अनुभवों को भी संवारेंगे
रात दिन फिर एक कर के गुजारेंगे
इस लक्ष्य को अब जीवन में उतारेंगे।

ये जुनुन अब कम नहीं होगा,
असफलताओं से भी कुछ खत्म नहीं होगा।

चुनौतियां बन जाएं जितनी,
हम स्वीकारेंगे,
हम वो नहीं हैं, जो हारेंगे।

मन लिया सुरज सा तेज नहीं,
मन लिया वो चमक नहीं,
मन लिया अभी अंधेरा ही सही,
लायेंगे, रोशनी लायेंगे आज नहीं तो कल
पूर्णिमा का चंद जरुर बन जाएंगे।

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19 FEB AT 22:24

शोर बहुत है
सुनाई यही देगा, वो सही हैं,
कहते हैं, तुम्हे दिखाई नहीं देगा
एक नकाब पहन लिया है, उन्होंने
और एक हमने, अनजान होने का
यु ना सोचों पत्थर हैं, हम
अंदर से टूटे हैं, तुम्हे दिखाई नहीं देता
कुछ पूछा, तो
आईना दिखाते हैं
खुद को अच्छाई की मूर्त बताते हैं
फिर भी इंतज़ार करते हैं, उनके आने का
तन्हाइयों में खुद से बातें करते हैं
सुबह से शाम कटता है, ख्यालों में उनके
रातों में बेचैन यादों में हम उनके।।

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19 FEB AT 22:20

ये वक्त है रुकता नहीं।
रेत सा मुठ्ठी में था,
ना जाने कब फिसल गया,
वो वक्त था जो निकल गया।

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19 FEB AT 22:12

हर क़दम पर बदलती रंग,
फसलों को देती जन्म,
हम को खिलाती अन्न,
पानी को खुद में समाती,
पेड़ पौधों को फिर उगाती,
हमें स्वच्छ पर्यावरण दिलाती,
गर्मियों में धूल बन उड़ती,
मरुस्थल में रेत कहलाती,
हिमालय पर कंकड़ बन जाती,
फिर बारिश आते ही अपनी खुशबू से महकाती,
कहीं काली पीली लैटेराइट लवणीय नामों से जानी जाती,


कटते पेड़, बहती मिट्टी,
कांक्रीट से बनते मकान,
ख़त्म कर रहे मिट्टी की पहचान,
कर रहे मिट्टी का तोल मोल,
भुल गए हैं कितनी है मिट्टी अनमोल।

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19 FEB AT 22:06

ज़िक्र नहीं कर सकते तुम्हारा जुबान से,
कुछ कशमकश में उलझने लगे हैं,
खामोशियों से गुजर रहे हैं,
भरोसा किस पर करें यहां,
सब कब बातों से मुकर रहें हैं।

लगता है कोई चिराग़ से आग लग रही है
हम भी मोम से पिघल रहें हैं

आईने में देखें या बिंब, कुछ समझ नहीं रहें हैं
विचलित से हम भी दिख रहें हैं
आवाज़ को शब्द नहीं,
या शब्द को आवाज़,
आंखों से भी कुछ समझ रहे हैं।

सोचा लिख दूं , नभ पर जीत
ग़लत ना सोचें ये समझ रहीं हूं।

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