"NISHA"
ना पूछ तू वजह मेरी यूं ,रात में जागने की,,
अपूर्ण सी "निशा",पूर्ण सी होती उस "निशा"के साथ मे होने से..,,
अमावस की रात वही, पूर्णिमा की भी रात वही,!
सखी भी वहीं , साथी भी वही!
ना पूछ तू कौन है "निशा"?
वही हैं "निशा", जो सुला के सब को, आ बैठी पास मेरे!
कह सुनाया मैने अपना दिन भर का हाल उसे, गले लगा कर बोली मै हूं ना साथ तेरे,,!
कुछ वक्त के लिए ठहरी और चली गई ,बोली कल फिर आऊंगी पास मैं तेरे,!
ना पूछ तू वजह मेरे जागने की,
"निशा" का "निशा" से राब्ता पुराना , अपूर्ण सी "निशा" पूर्ण होती।
"निशा" के साथ में होने से!
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