Nirbhay singh   (broken_stranger_n)
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Joined 27 June 2021


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Joined 27 June 2021
25 NOV 2022 AT 0:25

ना मंदिर, ना मस्जिद, ना गुरुद्वारे और ना मैं घर जाऊँगा,
ना जाने कहाँ और किस क़दर जाऊँगा,
कुछ ऐसे मैं इस दुनिया की धुल मे बिखर जाऊँगा,
कि तुझे मेरी मोहब्बत ज़हर लगती हैं,
अब यही ज़हर पी कर मैं मर जाऊँगा।

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2 NOV 2022 AT 21:54

टूटे दिल मे गमो का समंदर समेटे नजाने,
मै कहाँ कहाँ और किस क़दर भटकता हूँ।
की अब तो मौत भी मुकर्रर नहीं होते इस दीवाने की खुदा।
किसी को पाने की तलब न होते हुए भी,
मैं रातों मे तड़पता हूँ।
कम्बख्त रस्सी टुट जाती हैं, जब भी मैं पंखे से लटकता हूँ।

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22 SEP 2022 AT 14:32

वो जो मेरे ज़नाजे तक में नहीं आये थे,
आज जरूरत पड़ने पर,
मेरी कब्र से वो मेरा हाल पूछ रहे हैं।

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19 SEP 2022 AT 18:36

किसी बेगैरत कि खुदगर्ज़ी पर,
बुरा मैं खुद का कर जाऊँगा।
पल भर को तो मान चुका था,
ये ज़माना की अब मैं मर जाऊँगा ।
अजी मैं कोई आईना थोड़ी हूँ,
जो छोटी सी चोट से,
टूट कर बिखर जाऊँगा।

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29 AUG 2022 AT 0:43

यूँ दीवानों का दिल तोड़ जाना जरूरी हैं क्या,
हर दफा नया इश्क़ हो जाता है तुमको,
ये हर बार वाला इश्क़ कौन सा हैं,
जिंदा हैं तो है ये जिस्म पर पर मौन सा हैं।
और हर बार की तरह इस बार भी जा रही,
सुनो तुम्हारे साथ साथ इश्क़ की भी कोई मजबूरी है क्या।

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29 AUG 2022 AT 0:29

इश्क़ करने से अब तो डर जाओ,
और भी तरीके है मरने के जनाब,
जैसे पीओ जहर और मर जाओ।

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22 JUL 2022 AT 14:29

मैंने कहा था तुझसे की,
मैं तेरे इर्ध गिर्ध दिखूँगा नहीं।

इसका मतलब ये तो नहीं,
कि मैं तुझ पर नजमे लिखूँगा नहीं।

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18 JUN 2022 AT 12:36

यूँ ही नही हम दवा हुए है,
और आज ये जो हम दिल जलो की दवाएं खुदा हुए है,
पल भर मे ही नहीं मिल गया ये मकाम हमे,
अरे हमने भी तो मोहब्बत की है,
और हम भी तो पहले तबाह हुए है

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10 JUN 2022 AT 0:16

अपना बना कर मुझे, मुझ मे ही गुमशुदा कर गया है,
कल तक मशहुर हमारी मोहब्बत के किस्सों को वो अफवाह कर गया,
यूँ ही नही बर्बाद हुए है हम, की साथ हमारे भी कोई संगीन गुनाह कर गया,
बस कोई तीसरा आकर, दूसरे से मिलकर, पहले की जिंदगी तबाह कर गया।

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8 MAY 2022 AT 0:31

जिसे पाने को खुदा से भी लड़ जाऊ वो मेरा ऐसा अरमान थी,
नही जरूरत किसी और की हमे मै उसकी और वो मेरी पहचान थी।
नही आया कोई गम जिसमे, मेरा वो ऐसा खुबसूरत सा जहान थी।
देख रूहानी मोहब्बत हमारी कुदरत भी हैरान थी,
वो मेरी न हो सकी तो क्या हुआ, कि वो मेरी न हो सकी तो क्या हुआ।
कोई तो हैं ऐसा, मेरी मुस्कान जिसकी जान थी।

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