पथ में ना हो कोई भीड़, भटक
मंजिल से ना कोई रवानी हो
मैं डटकर मंजिल तक सोपान करूं
जग में मेरी भी एक कहानी हो
सूरज से पहले जो ना जागूं
तो तारों के छिपने तक ना सो पाऊँ
जो चंचल मन से तेज ना भागूं
तो रह-रह करनी पर पछताऊं
मेरी सोंच में, मेरी नस-नस में
मेरे सपनों में, मेरी बातों में
मेरे प्रश्नों के हर उत्तर में
मेरे जीवन के समरस में
मेरा ध्येय रहे मेरी जीत रहे
मेरा संकल्प रहे मेरी कीर्ति रहे
मेरा प्रण रहे मेरी प्रीत रहे
मैं त्याग करूं मैं ध्यान करूं
मैं मौन रहूँ और ज्ञान भरूं
मैं असफल होऊं पर हर ना मानूं
मैं साकार करूं मैं नाम करूं।।
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