Nilesh Premyogi   (Premyogi)
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Joined 6 March 2022


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24 FEB AT 18:17

किसी ख़याल का अक्सर आना चलता जाता है
प्यार जो जताया जाए ज़्यादा तो घटता जाता है।

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23 FEB AT 22:18

जो तोड़कर छोड़ गई वो मुझे इस तरह
जब मिला तो शायर बना मिला ख़ुद को।

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7 FEB AT 20:14

एक गुलाब रखा है जो तुझे देने को मेरा दिल बहुत बेसब्री से चाहता है
पर डर है कहीं गुलाब तेरी महक में खोकर ख़ुद की महक न भूल जाएं।

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25 NOV 2023 AT 19:36

बन नहीं रही कोई भी लड़की सीता
और देखों यह राम को पाने चली हैं।

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19 SEP 2023 AT 14:06

हे भगवान गणेश तू ही है जो विघ्न हर्ता
तुझसे क्यों डरे वो जो है सत कार्य कर्ता
तू ही है ज्ञान,विवेक,बल का अधिकारी
डरे तुझसे सिर्फ़ वो जो है धूर्त कार्य कर्ता।

पूरी कविता कैप्शन में पढ़ें...

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6 SEP 2023 AT 0:25

है गुरु वहीं जो सही ग़लत की पहचान सिखाएं
हर मुश्किल में डटकर लड़नें का ज्ञान सिखाएं
वो गुरु नहीं जो सिर्फ़ बढ़ाएं ज्ञान ज्ञानी का
गुरु सिर्फ़ वहीं जो अज्ञानी को भी ज्ञानी बनाएं।

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2 JUN 2023 AT 20:57

आने वाले आएं! जिंदगी में स्वागत है
जाने‌ वालों को हम भी पूछा नहीं करते।

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25 MAY 2023 AT 23:47

तेरी यादों को भुलाना होगा शायद‌ ये कर जाने तक
किसी और से दिल लगाना पड़ेगा तुझे भुलाने तक

अब चाहतें होंगी ना कभी शायद तेरे मेरे दरमियान
तेरा मुझे नहीं! किसी और गैर शख्स को चाहने तक

जो हुआ हूं मैं खामोश इस तरह जैसे ना हुआ था कभी
चलेगा अब यही सिलसिला ज़ख्मों के भर जाने तक


पूरी रचना नीचे पढ़े👇👇

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25 MAY 2023 AT 21:15

सब कहते तू टुकड़ा है चांद का
मै कहूं तो चांद भी टुकड़ा है तुम्हारा
सूरज की रौशनी से खूबसूरत बनता चांद
सूरज की रौशनी से भी खूबसूरत मुखड़ा है तुम्हारा।

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18 MAY 2023 AT 20:38

यूं तो कहते हो तोड़ते नहीं तुम किसीको
देखों मुझे!‌ क्या बेवजह ही टूटे है हम?

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