निल 'औरंगाबादी'   (©Deewana Neel)
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Joined 2 January 2018


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जिद्दी तुझसा दिवाना निल

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चार दिन की जिंदगी में,
दो फुरसत के पल ना मिले।
सितम, दर्द ओ' ग़म तीनों मिले,
बस एक तुम ना मिले।

बस एक तुम ना मिले,
बस एक हम ना मिले।
और एक हम-तुम ना मिले।
चार दिन की जिंदगी में,
दो पल फुरसत के ना मिले।

✍️ आपका अपना "निल"

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Uljhe uljhe sawaalon ke jawaab sa hai tu,
Aye dost badaa Lajawaab sa hai tu..
Har dard ke mere ilaaj sa hai tu,
Aye dost badaa Nayaab sa hai tu..
Mere har adhure khwaab sa hai tu
Aye dost badaa Mehtaab sa hai tu..
Tuti huyi meri har aas sa hai tu,
Aye dost badaa Behisaab sa hai tu..
Zindagi me aayi bahaar sa hai tu
Aye dost badaa Gulaab sa hai tu..
Jeene ki meri har wajah sa hai tu,
Aye dost badaa Kamaal sa hai tu..
Khuda ki ibaadat me dua sa hai tu,
Aye dost badaa Jamaal sa hai tu..
Dil pe kare raaj us nawaab sa hai tu,
Aye dost badaa Bemisaal sa hai tu..
Mere liye saara jahaan sa hai tu,
Aye dost Meri Kaynaat sa hai tu..

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वो जो जीते जी सहारा देने नही आए,
मेरे जनाज़े पे आज कंधा देने आए हैं।

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to accept yourself.

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रात चाहती है रात सी गहरी बातें,
सहर चाहती है सवेरा हो तुझसे।
दिन चाहता है दिनभर थामु हाथ तेरा,
और शाम चाहती है सुकून मिले तुझसे।
मैं कुछ नहीं चाहता,
मैं फक़त तुझे चाहता हूं।

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फिर मेरे शहर आ बसें है वो,
खैर, दूरियां अब भी मुक्कमल न हुई।

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वक़्त बेवक़्त चली आती है,
यादें तुम्हारी।
वक़्त का ना सही,
"हाल-ए-निल"
का तोह ख़्याल करें।

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कर दू राख़
उस आग सा हूँ,
मैं ज़रा बेबाक सा हूँ।
हर ग़म मिटा दे
उस ख़ाक सा हूँ,
मैं ज़रा पाक सा हूँ।
दांव पेंच न समझे
उस इंसान सा हूँ,
मैं ज़रा नादान सा हूँ।
मोहब्बत में लूट जाएं
उस आशिक सा हूॅं,
मैं "निल" ज़रा "दिवाना" सा हूॅं।

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मिठे के शौकीन हूँ अक्सर कड़वा बोलता हूँ,
सच बोलता हूँ तोह और भी जहरीला लगता हूँ।

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