nikita chaudhary   (तपish)
529 Followers · 8 Following

Jariya hu
Alfaazo ke lafzo tk ke safar ka!!
Joined 9 November 2017


Jariya hu
Alfaazo ke lafzo tk ke safar ka!!
Joined 9 November 2017
19 MAY 2022 AT 23:47

ज़िंदगी किसी ट्रैफिक में फंस चुकी हो जैसे
घर से शहर आती हूं
खुली हवा में सांस लेने,
"खुद" के बल पे जीने,
मैं भाग के बड़ी सड़क पर आती हूं मैं सबसे लड के,
सबको छोड़ के, सब कुछ भूल के
शहर जाती हूँ।
और यहां अकसर खुद को दम घोटने वाले
ट्रैफिक में पाती हूं।
कैसे अनगिनत लोगों में भी,
कोई पहचान में नहीं आता
भीड़ देख के दिल घबराता है।

फिर खुद को अकेला भी पाती हूं।
ना कमरे में सांस आती है,
ना छत पर, ना बालकनी।

मेैं दिल्ली की धुंध में खो जाती हूं।
इन लाइटों से सर फटने लगता है,

मैं घर पर कॉल करती हूं
"हां ठीक है सब यहां"
माँ को रोज़ समझाती हूं।

-


19 DEC 2020 AT 20:43

We should question
the source of our beliefs,
not the belief itself.
Because most of our beliefs are
based on our or other
people’s perception.

-


18 DEC 2020 AT 11:59

Under the loneliness of the nights
And the never ending voids.

-


7 DEC 2020 AT 22:23

Kuch had tak har koi matalbi hota hi hai.
Jhut aap bolo to galat, or khud ka jhut majburi hota hi hai.

-


18 NOV 2020 AT 22:05

कुछ तस्वीरों में कहानी बहुत होती है,
वो लिख कर बयां नहीं किया जा सकता,
क्योंकि अक्सर लिख कर
कहानियाँ और अहसास
दोनों अधूरे रह जाते है।

-


28 MAR 2020 AT 13:08

हर बार बर्बादी मोहब्बत की गलियों से नहीं गुजरती,
आओं बैठें चल कर दोस्ती के चबुतरे पर।

-


21 MAR 2020 AT 13:30

You suffocated me so much that I couldn't even bleed through the ink.

-


10 MAR 2020 AT 20:58

Don't let the hardest circumstances fool you to welcome unnecessary relationships.

-


5 MAR 2020 AT 19:09

If we take out even a little time to check
Who they are?
Why they are the way they are?
If we spend that little time
to find out that
why they are the way they are.
Then we will
save a lot of time
which we are wasting in thinking that
why are they like this with me?

-


3 MAR 2020 AT 19:37

चलो हम कहना छोड देते है,कि तुम गलत हो।
शायद सही गलत से उस पार, बस
बङती उम्र की मटमैली चादर ओढकर,
तुम बस सयानी बन रही हो ।
है ना?
दिल एक जिद्दीं परिंदा है,
उतना ही जिद्दीं जितनी की तुम।।
वास्ता तो रूह से था तुम्हारी,पर
किसी जिद्द में हम भी कुरबान सहीं।
पता है,
नमक और चीनी दिखने में एक जैसे ,
शायद फर्क सालों पता ना चले।
वैसे शौक हो अगर चखने का ही,
तो चख कर ही सहीं।
वैसे चखना भी आसान नहीं होगा,
कुछ मेल खाती कमजोरियों के संग।
खैर,
चाँद के सीने को पूर्णिमा की रात,
दिल की आँख से जरूर देखना।
वैसे तो कहना छोड ही दिया है।
पर देख जरूर लेना।

-तपish





-


Fetching nikita chaudhary Quotes