उसने कहा था अपने बारे में चार लाइन लिखने को,
पहले हफ़्ता बीता, फ़िर महीना बीता अब पूरा बर्ष बीता...
थककर तस्वीर निकाली थी उसकी, डायरी से,
फिर आँखें देखता रहा, और चुपचाप लिखता रहा
कहानी चलती रही, जवानी बीतती रही
दोनों बस उम्मीद के सहारे ही तो थे,
ज़िन्दगी चलती रही, उम्र कटती रही...
कमबख़्त, मैं आज तक लिखता रहा और वो इंतज़ार करती रही....
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