निधि सिंह  
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Joined 2 July 2019


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26 OCT 2022 AT 23:46

विशेष हो तुम,
कोई अवशेष नही,
हो रहे क्लेश कई,
तुम हो तो कोई द्वेष नही।
ये मेरा दुर्भाग्य है
हो रहा सब वैराग्य है
तुमसे मिलना मेरा सौभाग्य है।
शुरू से अंत तक,
आने वाले वसंत तक,
हम मिल रहे अनंत तक,
कर रहे सब विरोध है,
तुमसे मेरा अनुरोध है,
आ रहे कई अवरोध है।
प्रेम के पीर में,
हो रहे सब अधैर्य है,
रखना थोड़ा धैर्य है।

निधि!!

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6 JUL 2022 AT 23:21

एकांत बैठा मन अब प्रेमी से ज्यादा खुद को ढूंढने लगा है।

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6 JUL 2022 AT 15:53

जी भर के तुम्हें देख लूं तो तस्सली हो,
अभी दिया मत बुझाओ रात बांकी है।

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28 JUN 2022 AT 22:45

तुम अपने परिस्थितियों से लड़ सकते हो,
लेकिन खुद से नही,
खुद से लड़ना बहुत कठिन है,
खुद के विरुद्ध खड़े रहना बहुत कठिन है।

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27 JUN 2022 AT 18:13

कहां जा कर रोऊं मैं?
कहां छिप कर बैठूं मै?
तनहाई अक्सर मुझे ढूंढ लेती है,
आंखें अक्सर नम हो लेती है।

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14 JUN 2022 AT 10:19

आओ जरा बैठो सामने,
अपनी आंखो में तो खोने दो।
मोहब्बत की है तुमसे,
जरा महसूस तो होने दो।

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14 JUN 2022 AT 10:05

मेरी लिखावट शायद तुम्हारे विचार हो।

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10 JUN 2022 AT 9:58

प्रिय तुम,
तुमको याद है जब हम पहली बार मिले,
आसमान में एक ढलते हुए सूरज की तस्वीर बनी थी,
उस तस्वीर को देखकर , तुमने अपने अंदर उठे तूफानों को मेरे समुंद्र में शांत करवाया था।
और तुम्हारी इस अनुरोध से ,मैं अपनी शर्ते हार गई।

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6 JUN 2022 AT 16:42

मैं अपनी दुःख और खुशी दोनो के लिए खुद जिम्मेदार हूं,
क्योंकि मैं आज़ाद हूं।

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2 MAY 2022 AT 7:39

तुम NIT घाट से ,
मैं तुम्हारे बीच बहती गंगा प्रिय
तुम किस्सा बेपनाह मुहब्बत का,
मैं छोटी सी ख़्वाब प्रिय।
तुम हारे हुए लोगो के सवाल हो,
मै हर एक सवाल की जवाब प्रिय।

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