किसी ने बहोत खूब कहा है । मोहोब्बत को इजहार की जरूरत होती है, जैसे बारिश को बादल की, जैसे पौधे को पानी की, जैसे आग को मंजर की, जैसे सुबह को रोशनी की, जैसे बुजदिल को हिम्मत की, और जैसे बेवकूफ को अक्कल की ।🙏
जब हम रोह नही पाते, जब हम सुख से सो नहीं पाते., जब लोग रूठ जाते हे, जब हम टूट जाते हे., जब सपने सताते हे, जब अपने भी सताते हे., जब कोई नही समझता, जब खुद न कुछ समझ पाते., तब....तब....तब....तब............ बचपन याद आता ही, तब बचपन याद आता हे।