कितना प्यार था आपके लिए कितना नहीं ये अब नहीं जता पाऊंगी मैं क्या थे आप मेरे लिए क्या नहीं अब नहीं बता पाऊंगी मैं आप बेशक मान सकते हैं मुझे गलत हर बार आपको मैं ही मनाऊं यह नहीं कर पाऊंगी मैं एक प्यार ही तो मांगा था आपसे हर बार इसके लिए भीख तो नहीं मांग पाऊंगी मैं आना ना आना सब उस पर छोड़ दिया है मैंने हर बार आपके पीछे भागे ये अब नहीं कर पाऊंगी मैं
ये गरजने के दिन है उन्हें खूब गरजने दो बात जब बरसने की आएगी मुझे फुरसत ही कहाँ मौसम सुहाना देखूं, मै तेरी ज़ात से निकलूं तो ज़माना देखू यूँ न कहो कि क़िस्मत की बात है, मेरी तन्हाई में कुछ तुम्हारा भी हाथ है।
क्या करोगे अब मेरे पास आकर खो दिया तुमने बार बार आज़मा कर इश्क़ अधूरा रहा तो क्या हुआ, हम तो पूरे बर्बाद हुए। अल्फ़ाज़ सिर्फ चुभते हैं, खामोशियां मार देते हैं ।