बेशक चलाए तनै कितणे आंदोलन ।
असल समस्या तै, तू उलझी कोनी..
सून्ने पड़गे अधिकार तेरे ,
तेरे पै आपणी घर की समस्या तक सुलझी कोनी ।
दिमाग तै काम लिए, तू संकट की घड़ी मैं,
टूट ज्यागी, जै जज़्बातां मैं बह ज्यागी।
फेर के फायदा तेरी शिक्षा का, या धरी की धरी रह ज्यागी।
क्यू चुपचाप सहन करै जाव तू..खुद पै आण आले सारे प्रहार।
तू इब उठ खड़ी होज्या ।
क्यूं बाप , भाई और तेरा पति ए लेवैगा, तेरे सारे फैसले
बेशक तू कितनी बड़ी होज्या ..
क्यू बण री है बोझ किसे पै.. खुद कमा के खाणा सिख ।
21वीं सदी की औरत है तू, चल जिंदगी अपणी चमकाणा सिख।
-