.....उसके कठिन दिनों पर उसकी सारी बातें सुनने के बाद माथे पर एक बोसा देकर....सोख लेना उसके हर दुख... और अंत में गले लगा कर भर देना एक नई ऊर्जा उसमे....😊
सारे गम न जाने कहां ठहर गए तेरे जाने का गम अब भी खलता है मेरा दिमाग रुख नही करता किसी का बस तुम्हारे ख्याल से जी जलता है स्वाद बदल नही रहे जिह्वा के ये दर्द का स्वाद क्यों नही ढलता है जमीं ताकती है कि आसमां के पैर नही है फिर वो कैसे चलता है।