लम्हे जो तन्हा गुजारे थे हमने समंदर में वो बहा रही हूं। टूटी थी कांच की तरह तेरे दूर जाने से आज अपनी बेबसी को हसीं में उड़ा रही हूं प्यार था प्यार है प्यार कायम रहेगा , आज खुद को खुद से फिर मिलवा रही हूं — % &
फिजा ने करवट ली है ठंड ने दस्तक दी है इन उदास सर्द रातों को सिहरन नही होती हमे अब भीगा भीगा सा एक खयाल तेरा जब छू के निकलता है इन धड़कनों को मचल जाते है ये अरमान हाय !! मुक्तसर सी बात है तू ना सही तेरे खयाल से इश्क बेशुमार है।