Nazaf Mohiuddin   (Nazafmohiuddin)
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Joined 7 May 2021


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5 FEB 2022 AT 16:27

उनसे, मगर कहने में डर लगता है

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5 FEB 2022 AT 9:53

हमारी बुरी हालत पे नजाने कितने अपने बन बैठे
पता चला वो झलक था आईने का




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5 FEB 2022 AT 9:42

Mai apne ghar mai khud marhum hogaya hu
koi dastk phir kyu de raha hai itni zor se

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5 FEB 2022 AT 9:35

हम से ग़लती हो गयी माना
तुम भी तोह रोक नहीं सके खुद को कुछ देर के लिए







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5 FEB 2022 AT 9:27

Maine khudko bura samjha hai najane kitni baar sach to hai ye kam aqal ki zuba hai

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3 FEB 2022 AT 17:20

हमारी कलम के बारे में यूँ ना पुछिऐ
उम्र गुजर जाएगी पढ़ते पढ़ते

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3 FEB 2022 AT 17:14

ज़रा ठहर के चलिए कही ये ज़िन्दगी

रुख़सत ना कर दे आप को हमसे

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2 FEB 2022 AT 22:28

तेरा ना मिलना ही काफी था तेरे मिलने से पहले
इतना तो बताती जा ये ज़िन्दगी गुज़ारु कैसे

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2 FEB 2022 AT 21:38

एक पल में बदल जाये जो उसपे
यकीं क्या करना

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2 FEB 2022 AT 20:50

हर लोग मेहनत करते है
कुछ को सोना कुछ को कल में होना मिलता है
कुछ को भूख सताती है कुछ को ज़िन्दगी खूब दोड़ाती है
ये बात कहा हर किसी को याद आती है
जिन्दगी रगड़ घिस कर कुछ ही दे पाती है

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