Nasir Tufail   (Nasir Tufail Nahid✍️)
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Joined 3 June 2018


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Joined 3 June 2018
19 APR AT 17:53

Those who speak evil behind one's back are like a dog barking from behind.

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19 APR AT 17:42

When a person becomes proud of himself,
the path to the abyss becomes clear.

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15 JAN AT 13:10

हम भी क्या दिल लगाएं इस दुनिया से
एक बार जो गए फिर दुबारा लौटकर न आयेंगे ।

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28 SEP 2023 AT 7:00

हमने जमाने में यूँ भी अय्यार देखे हैं नाहिद
दाग अपने चेहरे का दूसरे का बताते हैं लाेग

लकागाकर र बड़ी इज्जताें की लाइने Status में
इज्जत बक्शने का ढाेंग यूँ भी रचाते हैं लाेग

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30 APR 2023 AT 21:07

बीतता लम्हा
हर लम्हे में तू
तेरी जुस्तजू
हाय ये आरजू
मिलें कभी ताे दिखायें हम
तड़प कितनी है बतायें हम
चार सिम्त तू
सासाें में तू ही तू
बाताें में तू
ख्वाबाें में तू
उफ्फ कहाँ खाे गया दिल मेरा
अब ये नहीं रह गया दिल मेरा
यादाें की ये खनक
बाताें की वाे उफक
आँखाे की वाे चमक
चेहराें की वाे दमक
सांसाें में मेरी हर सू समा गई तू
पता न चला दिल काे कब भा गई तू

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30 APR 2023 AT 12:33

वाे महफ़िल में सुना रहे थे किस्से अपने अच्छेपन की,
मुझ पर नजर क्या पड़ी वाे खामाेश हाे गये ।

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21 APR 2023 AT 15:22

इल्जाम यूँही नहीं लगते हैं जमाने में प्यारे
इल्जाम पाने के लिए भला करना पड़ता है दूसराे का।

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15 MAR 2023 AT 22:20

लफ्ज भी नहीं अब कहा क्या जाये
इंसानियत कहे है अब चुप रहा जाये

पैबंदकारी नहीं करनी चाहिए रिस्ते में
खामाेश रहिये यूँ भ्रम ताेड़ दिया जाये

रूख्शत हाेना है सबकाे यहाँ "नाहिद"
खुदा पर ही हिसाब छाेर दिया जाये

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9 MAR 2023 AT 22:13

कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
मिरे लिए तुम काैन हाे
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
मेरी धड़कनाे की साज हाे तुम
मेरी महब्बताें की नाज हाे तुम
मेरी जिन्दगी मेरी आज हाे तुम
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
मिरे लिए तुम काैन हाे
मेरी आब-रू मेरी जान हाे तुम
मेरी राजे जिगर ईमान हाे तुम
मेरी बन्दगी मेरी पहचान हाे तुम
मेरी शाेहरताें की शान हाे तुम
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
मिरे लिए तुम काैन हाे
जिसे शय में साेचूँ जहाँ भी जाऊँ
हर सिम्त मैं तुझे ही पाऊँ

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1 MAR 2023 AT 20:51

Service वाले पहले दिन अच्छे से याद है मुझे बहुत खुश थे हम ये साेचकर कि चलाे पढ़ाई लिखाई डांट पटकार से साथ छूटा पर क्या पता था एक दिन वाे पल बहुत याद आयेंगे जिसे हम बाेझ समझ रहे थे 😭
जब भी अब खाली बैठता हूँ ताे बहुत याद आती है यार वाे लम्हे पढाई के मन करता है फिर से पढूं पर वाे वक्त अब नहीं बहुत जिम्मेदारी भरे दिन आ गये।

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