खिलखिलाती धूप का देख के पराग,
बन तितली उड़ चली ले अपना अनुराग,
जीवन कि कुछ जानो प्रियतम,
अमृत की परिभाषा मानो उत्तम
समृद्ध देश का मान,
कर्मयोगी का अभिमान,
इन का मोल लगाओ प्रियतम,
निर्धन को जन मानो प्रियतम
आने आवेश के वेश को
उससे पहुंचे मासूमो कि टीस को
माता की पूजा करो प्रियतम
बस जान न लो प्रियतम
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