Nandani Kumari   (Nandani)
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Joined 20 May 2020


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Joined 20 May 2020
10 JAN 2022 AT 2:19

गौर से अब तक सभी को सुन रहा था मैं
खोखले से शब्द खुद ही चुन रहा था मैं
चीख करके बंद सबके कान खोलूंगा
मैं मिरी ख़ामोशियों के बाद बोलूँगा |

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11 NOV 2021 AT 23:24

धरती की छत है अंबर ये
इस छत पर चंदा बैठा है |
सूरज से होकर रोशन ये
खुद खिला-खिला सा रहता है |
हर आशिक की माशूका ये
हर माशूका का आशिक है |
हर रोज़ अंधेरों से होकर
हर सुबह रोशन करता है |
ये रोज़ ही नया मुसाफिर है |
हर रोज़ कहानी कहता है |

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11 NOV 2021 AT 23:04

......
जो अंधेरी ज़िंदगी में
हौंसला ले आती है |
बंद रास्तों के भी
पार ले जाती है |
झांको गर बाहर
तुम्हें तुमसे मिलाती है |
दिल के इस घर की
ये दुनिया कहलाती है |

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22 OCT 2021 AT 22:46

Stub in greenery.

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15 OCT 2021 AT 23:23

Exploring own happiness to others.

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21 SEP 2021 AT 9:07

रेत भरी है इन आँखों में आँसू से तुम धो लेना

कोई सूखा पेड़ मिले तो उस से लिपट के रो लेना

उस के बा'द बहुत तन्हा हो जैसे जंगल का रस्ता

जो भी तुम से प्यार से बोले साथ उसी के हो लेना

कुछ तो रेत की प्यास बुझाओ जनम जनम की प्यासी है

साहिल पर चलने से पहले अपने पाँव भिगो लेना

मैं ने दरिया से सीखी है पानी की ये पर्दा-दारी

ऊपर ऊपर हँसते रहना गहराई में रो लेना

रोते क्यूँ हो दिल वालों की क़िस्मत ऐसी होती है

सारी रात यूँही जागोगे दिन निकले तो सो लेना

- बशीर बद्र

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18 SEP 2021 AT 1:33

As there are..
Lots of dreams we saw together.
Lots of places we visited together.
Lots of fears we shared together.
Lots of hopes we found together.
Lots of confusions we created togethers.
Lots of stories we said together.
Lots of nights we spent together.
And
Lots of days we entered together.

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18 SEP 2021 AT 0:31

खुद में ही वो खुद से मिले |
खामोशी वो कहती है
आवाजें जो कह ना सकें |

मन के भीतर जो भाव भरे
गहरे हैं बहुत वो घाव हरे |
खुद की ताकत खुद ही बनकर
खुद को ही अब समझाया करे |

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14 SEP 2021 AT 22:55

I've lost myself.

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14 SEP 2021 AT 0:16

is when I try to
change myself for the others.

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