आज रामनवमी.......मां के लिए सबसे खास त्यौहार उनके इष्ट का जन्मोत्सव......हर बार सुबह सवेरे अपने इष्ट की पूजा की तैयारियों में निस्वार्थ भाव से लग जाना मानों आज राम खुद घर में आने वाले हो, और फिर हर बार की शिकायत तुम सबको मेरे इष्ट से कोई प्रेम नहीं अपने इष्ट के जन्मोत्सव में तो सब उल्लास से तैयारियां करते हो और जब मेरे राम की बारी आती है तो किसी को याद नहीं रहता.....।। ये हर चैत्र नवमी की सुबह का हाल था........ और हो भी क्यों ना अपने जीवन में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जैसा संघर्ष और सीता मां जैसा चरित्र अपनाकर मां ने इतने दिनों तक संघर्ष किया शायद इसीलिए रामलाला के अपने जन्मभूमि में प्रतिष्ठित होने से पहले ही उन्हें अपने चरणों में बुला लिया ।आज भी वही दिन है, वही घर और वही लोग बस बदला है तो इष्ट की भक्त का स्थान शायद आज वो अपने इष्ट का दर्शन कर रही हों। लेकिन आज सब अधूरा सा है आज कोई ताना नहीं, कोई तैयारी नहीं, कोई शोर गुल नहीं कोई जल्दी नहीं। मानों एक शख्स के साथ इस घर की रौनक भी विदा ले गई हो।
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